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________________ १५८ श्रीमद्वीरविजयोपाध्याय कृत बासव माघनी वदी जाणो | चतुर्दशी श्रेष्ठ वखाणो | हमे भेट्यो तीरथनो राणो । रंगे गुरुवार ॥ समे० ॥ ६ ॥ उत्तम तीरथ जातरा जे करशे । वली जिन आज्ञा शिर धरशे । कहे वीरविजय ते वरशे । मंगल शिवमाल ॥ समे० ॥ ७ ॥ www 高 ॥ स्तवन तीजुं ॥ रहेने रहेने रहेने लगी रहेने, ए देशी ॥ नेटो नेटो नेटो जवियण नेटो । समेत शीखर गिरि नेटो ॥ ज० ॥ जनम मरण दुःख मेटो ॥ ज० ॥ कणी || मोहरायने विवर दियो जब | जाग्योदय थयो बलियो । पुरव पुन्ये आज हमारे । तीरथ मेलो मलियो ॥ ज० ॥ १ ॥ आज हमारे सुरतरु प्रगट्यो । मनना मनोरथ फलिया । समेत शीखर गिरिवरने जेटी । जवना फेरा टलिया || ज० || २ || नवोदधि तरिये पार उतरिये । तीरथ कहिये तेह । पुन्यता तो पोठी रिये । तेमां नहीं संदेह || ० || ३ || स्वपरिवारे वीस जिनेश्वर । समेत शिखर गिरी चकिया | काम क्रोध मद मोह निवारी | समता
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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