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________________ स्तवनावली | १५३ ज्युं पामो जव पारी । केसर रंग के तिलक लगावो ! धुप घटी विरचावो । जवी तुमे जावना जावो ॥ च० ॥ ३ ॥ ताल मृदंग वि मफ बाजत । जुंगल गाजत जेरी | गीत नृत्य प्रभुजी के आगे । करत मिटत जव फेरी | वसंतकी बाहार जलेरी ॥ च० ॥ ४ ॥ नंदा नंदन जव दुख कंदन | नाम से शीत जयोरी । शौच करत बिचारो चंदन | नंदन वनमें गयो । जाको मान जंग थ्योरी ॥ च० || ५ || ढुंढत ढुंढत शहेर शुधामे । शीतल नाथ मिल्यो । वीर विजय कहें तम आनंद आज हमारे थयो । दरशसें पाप गयो री 1 ॥ च० ॥ ६ ॥ **XXXX** ॥ अथ हस्तिनापुर स्तवन ॥ ॥ राग होरी ॥ चालो खेलिये होरी जिहां जिन कल्याणक जयेरी ॥ चा० ॥ टेक ॥ सुंदर हस्तिनागपुर है | पूरव देस मोका । जिहां जिन तिनके कल्याकिका | कथन हे सूत्र मोजारी । सब जीवन हितकारी ॥ चा० ॥ १ ॥ शांतिनाथ श्री कुंथुनाथजी अर जिन अंतर जामी । चवन जनम दी ܪ
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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