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________________ स्तवनावली। ॥ अथ श्री हस्तिनापुर स्तवनम् ॥ ॥ देशी, रास धारीकी ॥ कान्हा में नहीं रेहनारे, तुम चेरे संग चलूँ ॥ यह चाल ॥ प्रनु अविचल ज्योति रे, निज गुण रंग रली ॥ टेक ॥ प्रजु त्रिजुवन चंदा रे, तामस दूर टली ॥ प्र० ॥ १ ॥ जग शांतिके दाता रे, अघ सब दूर दली॥ ॥॥प्रजु दीनदयाला रे, अब मुफ आश फली ॥ प्र॥ ३ ॥ प्रनु चार कल्यानक रे, विपदा पूर टली ॥ ॥४॥ जिन गर्न कल्यानक रे, जनम जिन दीदा थली ॥ प्र॥ ५ ॥ शांति कुंथु जिनंदा रे, अर जिननाथ वली ॥ प्र०॥ ६ ॥ एह तीरथ नूमि रे, पूरण पुण्ये मिली ॥ ॥ ७ ॥ हस्तिनापुर - या रे, दिल्लीसे संघ चली ॥प्र॥ ७॥ प्रनु संमेतशिखरे रे, ज्योतिमें ज्योति मिली ॥ प्र॥ ॥ए ॥ अंक गुण निधि छु रे (१९३ए), अमावस पोष फली ॥ ॥१०॥ प्रनु आतमानंदी रे, विकसित चंप कली ॥ प्र ॥ ११॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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