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________________ ५४ मिनाहचरिउ [६५४ ] तयणु नासिर- सेन्न भज्जंत ते दो विनिरिविखरण मा भायह नियहखणु पण्णत्तहि विज्जह वसिण खग्ग खणखण-रव-खुहिय [६५५] निसिय-करयल-कलिय-करवाल लय- निद्दय- निद्दलिय धणु-जंत विमुक्क-सरछुरियधाय पसरिय-रुहिर मुग्गर-पहर - विणिद्दलिय - कुमर चरिण अखलंत - पसरिण । दलिस दप्पु इमहत्ति भणिरिण || कय-चउरंग-वलेण ॥ पडिवक्खिय खयरेण | सत्तु- कुंभि - कुंभयड-लक्खिण || निहय-भडिण रण-मग्ग-दक्खिण ॥ छड अरुणिय-गयणेण । उत्तिमंग- सुहडेण || [६५६] सत्ति-भल्लय- सेल्ल-वावल्ल नाराय-मुसुंढि -गय निहणंतिण करि-तुरयउवसाउि खण-मेत्तिण वि असणिवेग-खयरिंदु | तयणु सु परिविष्फुरिय- कुरु- वंस - गयण-रयणिंदु || सुर- नहयर-तरुणियणस-परिक्कम- सुर-असुरभुवण-मंतर - वित्थरिय - पत्तु तर्हि चिय धवलहरि वज्ज-चक्क-कत्तरिय-कुंतिहिं | सुहउ-सत्थ बहु-विह- विभत्तिहिं || [६५७] खयर - वियरिय रहवरारूड मुक्क पंचविह-कुसुम बुद्धिउ । खयर-सुहड-मण-जणिय- तुट्टिउ || निरुवम-कित्ति-कलावु । पसरिय-महुरालावु ॥ [६५४
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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