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________________ ५० नेमिनाहचरिउ | [६३८ ] अह समासिण निविड- नेहाए तहि सारय-ससि-मुद्दिहि ता पसरिय- हरिस-भर अह पाविय चक्कि - स्सिरि व ती सुनंदह कामिणिहि [६३९] अरिरि ससहर तवहि तुहुं अज्जु मलयाणिल तुहुं फुरहि हलि कोइलि लव हुं वि अरि अरि धट्ट कुसुम-सर एह पाडेसह सयलहं वि पुव्न-उत्त कह सयल साहिय । सा मयच्छि कुमरिण विवाहिय || फुरिय- हरिस-वावारु । सविहि वट्ट कुमारु ॥ कवि अक्खउं वत्तडी जा ताव समुल्लसियतसु खयरह कुमरिण हयह संझावलि - नामिय लहुय लेहि पसरु सहयार तंपि हु । तुमि विभ्रमर झंकार पयडहु || पुरिसु होहि तुहुं अज्जु । तुम्हहं मत्थइ वज्जु ॥ [६४०] तह सुलोयणि एहि जह तुज्झ इय भणंतु पविसेइ अंगह । रोस - पसर गयणयल - मग्गह || आयणिय- वृत्तंत । भइणि तत्थ संपत्त ॥ [६४१] किंतु कुमरह वयण- हरिणक [ ६३८ अवलोयण-अमय-रस मयणाणल - तत्रिय-तणु ता गंधव्व-विवाह - विहि कुमरिण संझावलि विनिय सित्त झीण - तणु - कोह - यवह । हूय स ज्जि सवंग दुस्सह || अणुसरेवि परिणीय | वसुकय-सिण उवणीय ॥ ६३८. ६. ता पाविय. ६३९. २. क. ख. मलयाणल. ६४० १. तुज्झ.
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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