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________________ ३८ नेमिनाहचरिउ । । ५९० ५९०] इय भणेविणु गुरु-निहाएण संभंत-सुर-कामिणिहिं निहय-वच्छ-तुटुंत-हारहं । मुत्तावलि-संवलिय- गलिर-नयण-दल-नीर-धारहं ॥ नीसासिहि सह परिमुयइ मुग्गरु भीरु करालु । उवरि कुमार-सिरोमणिहिं निरु अप्पह खय-कालु ॥ धरणी-यलि निवाडिळ किंचि फुरिजय सदु ।। [५९१] तयणु मुग्गर-घाय-विहुरंगु धरणी-यलि निवडियउ कुमरु खयर-सुर-तरुणि-दुह-यरु । ता रक्खस-तणउं बलु किंचि फुरिय-संतोस-सुंदरु । धावइ वग्गइ उप्पयइ घोसइ जय-जय-सदु । अह आगय-चेयन्न-भरु , कुमरु विभाविय-महु ॥ [५९२] गुरु-मडप्फरु फुरिय-भुय-मूल उम्मूलिवि बड-विड वि गरुय-कोव-कंपंत-खंधरु ।। भू-भंगिण भीम-मुहु चलण-भरिण चालिय-वसुंधरु ॥ अरिरि पिसाय-अहम्म तुह वड-विडविण दलियंगु । कुणउ हरिसु वायस-कुलहं गलिय-जीय-सव्वंगु ॥ [५९३] इय पयंपिरु समर-संरंभ अवलोयण-वाउलिय- खयर-तरुणि-दसण-कयायरु । मूलग्गई वड-तरुहु · दलिवि करिण गुण-रयण-सायरु ॥ आससेण-निव-अंगरुहु कर-कय-वड-दंडेण । एग-पहारिण रिउ हणइ तह जह उदंडेण ॥ ५९२. ९. जीठ.
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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