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________________ : ३० नेमिनाहचरिउ | [५५८] मज्झि संठिङ गस्य संतोसु पढिय - कित्ति सव्वंग सुंदरु | जणिय- दुगुण- तणु-कंति- वित्यरु ॥ विज्जाहर-चंदियणगोसीस चंदण-रसिण कुंडल- लिहिय- कवोल थलु वर-मउडालंकारु | हार - विराइय-वच्छ-यलु कय-निरुवम-सिंगारु ॥ [५५९] मयण-भवणह दार- देसम्मि कणय रयण-आसणुव विउ । पेच्छणीय दंसणि पहिडउ || कयली - हर अंतरि कय-गीउग्गार-वरअइ-पयासिय-पुव्व-भव- संचिय-मुह पभारु । पणय- लोय-आणंद-यरु पेच्छइ सणतुकुमारु ॥ [५६० ] तमु कहेरिस रिद्धि अइरेण जाय त्ति चिंतिरु सणिउ सणिउ गहित्रि पच्छिम वसुंधर चिरंतु छायहं तरुहु पिसुण-मरट्ट घर निरु करव-सुज्जोय गरु सुणइ पढिर सग्गण फुडक्खर ॥ नमिर गुरुय सिरि-हेउ । आससेण-कुल-केउ || [५६१] समर-निज्जिय-सयल-खयरिंदु 'विज्जाहर चक्कes असिधारहं वीसमिरनहर का मिणि थण - सिहर- संगम जणियाणंदु | जयउ जयउ भुवणन्भहिउ सणतुकुमारु नरिंदु || ५५८. ६. क. लिहिड, ख. हिय. ५६०. ४. क. छायह. ५६१. ४. वासमिरु. ५. क. रयणि नियय-तेय - अहरिय-दिवायरु | सत्तू-सेणि गुण - रयण- सायरु | [ ५५८
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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