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________________ ૨૬ नेमिनाहचरिउ [५४२] Tor - गिरिवर- गहण - पजलंतदावाणल-संगमिण जणिय- भुवण-संतावु निदंदुरु । परिसोसिय-महि-वलय- वावि कूब सरि-सरु मुदुद्धरु ॥ कय-तरु-पत्तस्साडु । वायंत झंझा-पवणु कसु कसु न हवइ डाहयरु गिम्ह-यालि जिम्ब भाइ ॥ [५४३] विगय- पत्तहिं दलिय - कमलाहिं परिवियलिय- पाणियहि रवि-कुनिविण खर- करिहिं तह खर- पवशुद्धय-रइण कुन संताविउ महि-वलइ दूर- तसिय-सिरि-नलिणि-तरुणि हि । निहय-कंति-सयवत्त वयणिहिं ॥ उद्धधुलिय- दिसेण । गिम्हिण काउरिसेण ॥ [५४४ ] सजल-जलह-धार-सर- सेणि घण- गज्जि - हुंकार खु महु-लुद्ध-धाविर भमर निय - पिय-सहिय-सिइंडि-कुल- परितड्ड विय-कलावु । पाउस - पामरु विरहियह कसु न कुणइ संता ॥ विज्जु - पुंज - कन्निय-भयंकरु | कुल - कथंव- केसर - विसप्पिरु || [५४५ ] सुरइ धणुहु गयण-यलि नियत्रि कलहंस माणसि गमिर सिंनंत चायग महुरु केयर - सिहरि - सिलिंग-दुमकसु पाउसि नहि विरहियह सरिय दो वि कूलई निवाडिर । जल-प्रवाह महियल विहाजिर ॥ कुडय - विवि-कुसुमाई | फ़हई हियडुल्लाई || ५४२. २. क. दावानल. ७ पत्तास्साड. ५४३. १. क. कमलाई ७. उद्धुंधलिय. ५४५, २. क. माणस. ५. पवाहु. [ ५४२
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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