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________________ ५१७ ] [५१४] कि णु पिय-सहि चवि धीरतु सणतुकुमारचरिउ एम् वि तुहुं चिह्निहिसि जह दसहूं करि धरिव अह किं-चिवि तक्कह-सवण - पच्चागयचेयन्न । साइह मई सउं कन्न ॥ संपत्तिय उज्जाण वणि अवलोsविसयल वणु सविसेस-समुल्लसियगंतु मज्झ कयलिय-हरह भइ य कहमवि मह पुरउ किं न कुणसि केत्तिउवि उज्जमु । विसम-वाणु तुह सो ज्जि निरुवमु || [५१५] . तानिरिक्खि मयण - आययणु आगच्छसु मह पुरउ तह चैव य कयइ मई इय जइ कमवि सुविसु ता अप्परं सु-कयत्थु हउ सु ज्जि मयणु अनियंत वालिय । विरह - जलिर - हुयवह- करालिय || निवडिय नीसाहार । खलिरक्खर - परभार ॥ [५१६] सहि करेविणु वेसु मयणस्सु जेण ललहुं तेण वि विणोइण । मिलिउ तुहुं वि इह विहि- निओइण || इ एत्थ पत्थावि । मन्नहुँ अकत्था वि ॥ [५१७] एत्थ - अंतरि मंयण - आययणि परिभमंतु तत्थ वि पहुत्तउ । अ-लहंतउरई कुमरु अह विम्हिय-मण-पसरु सुणिवि ताहं दोन्हं पिवत्तउ || मह नेवण व तुहुं इह व अच्छु पसयच्छ । तुह छमिण जिण गंतु तर्हि पेच्छउं हउं जि मयच्छि ॥ ५१४. ७. क. सेयन्न ५१६. २. क. सयल. ५१७. १. क. भायणिण. १९
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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