SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५०९] . सणतुकुमारचरिउ .. . १७ ___ इय ठवेविण कुमरु कंदप्पभवणाजिरि कह-कह-वि कुमर-दिण्ण-आएमु तस्मुहि । अन्नेसणि तरुणियह चलिउ जाव ता नियइ ससि-मुहि ।। सहि तीए च्चिय गोरियह विहिय-पुरिस-नेवच्छ । गच्छंतिय लइयंतरहंसमुहु वियासिय-अच्छ ॥ ५०७] ___ अह महिंदस्सीह-कुमरेण वोल्लाविय सा- सुयणु कहसु मज्झ को एहु वइयरु । जं दीसइ पई विहिउ पुरिस-वेस्नु वयणह अगोयरु ॥ तयणु हसेविणु गोरडी भणइ सविहि आगंतु । - निसुणसु सु-पुरिस अवहियउ होउण मह वुत्तंतु ॥ तहा हि [५०८] दियहि पच्छिमि इह वि उज्जाणि संपत्तिय मज्झ सहि आसि मयण-पूयणह कज्जिण । ता अहरिय-विसमसर- तियस-इंद-गोविंदु रुविण ।। दिट्ठउ को-वि हु मह सहिहि मयण-भवण-दुवारि । भुवण-सिरोमणि नर-रयणु विहिय-अवहि-सिंगारि ॥ [५०९] तयणु अवगय-हियय-भावाण स-सहीण वयणिण मयण- विभमेण तस्सु पूय विरइय । तह स-करिहिं चंदणिण अंगुवंग सयलि वि विलेविय ॥ मुद्धहि मज्झ वयंसियहि अह तत्तणु-फरिसेण । अइ-कोमलिण सु-दुल्लहिण नडिउ अंगु अइरेण ॥
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy