SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४६९] . सणतुकुमारचरित अह नराहिव-वयणु निसुणेवि संतोसामय-वरिस- सित्त-गत्त-लइय व्य असरिम् । उवदंसिर-पुलय-भरु भणइ साणुणउ देवि स-हरिसु ॥ हवउ हचउ मह देव-गुरु- चलण-पसाइण एहु । जह जायहुं इह-पर-भवि वि हउं वि सयल-सुह-गेहु ॥ [४६७] - तयणु नंदण-वयण-रयर्णिदउवदंसण-सुह-तिसिय देवि देइ देवयहं विविहहं । उवयाइय-सय-सहस कुणइ पूय जिण-पाय-पउमहं ॥ आराहइ गुरुयण-चलण ओसह-सयई पिएइ । निय-गमह निविग्ध-कए बहु-रक्खाउ करेइ ॥ [४६८] . तयणु स-हरिसु धरणि-हरिणंकसंपूरिय-दोहलय . गमइ कमिण. पडिपुन्न-वासर । अह सयल-गुणभहिइं दियहिं पत्त-गय-दोस-अवसर ॥ पसवइ देवि समग्ग-गुण- लक्षण-रयण-निहाणु । भुवणाणंदणु सुय-रयणु पयडिय-विहि-विण्णाणु ॥ [४६९] अह पढ़तिहिं भट्ट-चट्टेहिं गायंतिहिं गायणिहिं . दिज्जमाणि दाणम्मि वंदिहिं । कितिहिं मंगलिहिं. वज्जिरेहिं बहु-तूर-विदिहिं ॥ सधराधर-धरणियल-जण- परम-सुहाण निहाणु । दिण्णु नरिंदिण नंदणह सणतुकुमारभिहाणु ॥ - ४६८, ४. क. ख. गभहिंइ. ८. क. भवणा'.
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy