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________________ १५६ २६६ नियह 11 तियसा । संपत्ता ॥ २६८ २७० २७१ दिट्ठे च तं तिलोयव्भहियं ति मणम्मि अम्ह गुरु-हरिसो । संजाओ अह चक्कि - पहुणा ईसी स-हरिसेण ॥ भणियं जइ एयं ता एज्जह तुम्भेत्ररण्ह समयम्मि । जह अत्थाण- निविट्ठे कय-सिंगारं ममं इय चक्कि वयणमायण्णिऊण हरिस- पुलइया अन्नत्थ गमेउ खणं पत्तावसरं तु तो अत्थाणुवविट्टं सव्वंग - विसेस - विहिय-सोहं पि 1 ववगय-तणु-लायण्णं अवलोएऊण तं तियसा ॥ २६६. धिद्धी कम्म- विवागो को वि अउव्वों त्ति चिंतिरा हियए । विच्छाय-त्रयण-कमला सहसि अहोमुहीहूया ॥ ता किंचि विसन्नेणं सणकुमारेण पभणियं जह भो । अन्नारिस व्व तुम्भे जाया किं झत्ति दट्टु ममं ॥ अह कहिय - नियय - सरूवा भांति इयरे जहा महाराय । जा आसि तेल्ल - अभंगियस्स देहम्मि तुह कंती ॥ तइया सा एहि सहस्संसेण वि कय- विहसणस्सावि । विहिय - सिणाण-विलेवण - विहिणो हु नत्थि ता सहसा ॥ लायण्ण-रूव-जोव्वण सरीर संघयण- कंति-सोहाओ | धिद्धी अइ-तुच्छाओ जीवाणं लोग || ता कुस - जल-लव-चवले लायण्णे जोव्वणे य रूवे य । पडिवंध-कारणं किं-पि नत्थि सुविवेय-विहवाण ॥ २७५ इय सोऊण जहट्ठिय-वयणं तियंसाण जाय-संवेगो । वियलिय मोह-मोहो सर्णकुमारो पयंपेइ ॥ इच्छामो यणुसट्टि तियसा पर कज्ज-सज्ज-वावारा । रूवाहिमाण-गह- निग्गहओ तुम्भेहिं पडिसि || पयईए निग्गुणो च्चिय देहा देहीण नत्थि संदेह । अविवेणो इमस्स वि मंडण - परिकम्मणक्खणिया ॥ २७८ २७२ २७३ २७६. गाथा २६७ पछी २६०० ग्रंथान थयानो प्रतोमां निर्देश थे. २६७ २७४ २७७
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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