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________________ ८४ नेमिनाearts [७७४] खमुहु खासह जरह अरुईए गंडमाल चाहीए सोसह । कर-कंपह रपयहं अरईए भगंदरह विउ विगच्छखणणि वि एहु सु-विणिच्छिवि मुणि वसद अम्ह वयणु पडिवज्जु ॥ पतरि परिभरि किं वाहिर रोग अह तास-वियक्किय भणहि सुर फेडिवि अहि करहुं खणिण सूल - रुजह अन्नह वि दोसह || करहुं देहु निरवज्जु । [७७५] इय परि तियस पुणुरुत्तु भणिय साहु सहिण ति - साहह । अंतरावि तुभे विसोहह || नणु मुणि वाहिर रोग । सयलि वि सज्जा लोग !! - [७७६] तयणु दाहिण -करिण परिमुसिवि निय वामह करह नवउदंसिवि त सुर मह अंतर - रोगहं तणी किं तु सहेवा पच्छह वि अज्जु ति सहउं निरुत्तु ॥ तरणि-किरण - दिपंत अंगुलि | पुरउ भणिउ मह - रिसिण - नणु सलि || एहि पुणु के तिय- मेत्तु । [७७७] अह. - महा- मुणि नूण जइ तुहुँ जि - अंतर- रोगहरु इय भगत चलणेसु निवडिवि । दु-वि साहहिं तिस र पहु-पसंस अप्पाणु पयडिवि ॥ सणतुकुमार- महारिसिहि सव्वाउ वगि । सुर घरि गंतु सुर पहुहु तवृत्तंतु कवि ॥ ७७५. ६. तो. [ ७७
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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