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________________ : ૬ नेमिनreafte [७१०] अह तहाविह गुरुहुं पय-मूलि एहु गंतु चारित सेवइ । कुमर-वरिण पुणु अज्जु केस्वर || संलत्तउ एगति । विज्जाहर· चक्कवइ इय गच्छ कालु कु-वि अम्हहं पुरउ समग्गहं वि जह कीलण कर एह लहु मानस - सर - सामंति || [७११] ता सुनंदा - पमुह दइया हिं सारेण य परियरिण विहिय-सेवु इह अज्जउत्तर । जावागउ ताव नर एत्थंतरि कयलीहरe उठेविणु नीहरइ कुरु रयण एत्थ तं पहु पहुत्तउ || वियसिय-मुंह- अरविंदु | वंस गयण- स्यणिंदु || [७१२] तयणु दो विहु विहिय-तक्काल पाउग्ग-विहाण लहु पुवज्जिय-तियस- गिरिभुत्रण अंतर- वित्थरिय सिरि-वेयइट - महागिरिहिं गया ति सरल-सहाव ॥ जणिय-सयण - आणंद-चित्थर | तुंग-पुण्ण-पव्भार- सुंदर || निम्मल-कित्ति-कलाव | [७१३] ता विसेसिण खबर - सेणीसु दो पि सव्वायरिण पणमंत नहयरहं परिणेविण नाणा - विहउ अह अणि वियसिय-मुहिउ निrय आण अरिण पयारिवि । उचिउ रज्ज-अहिउ कारिवि ॥ विज्जाहर - कुमरीउ | प्पिणु अंतेरी || [७१०
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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