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________________ १८ पृष्टाङ्काः पृष्ठाङ्काः bum ... ... १९९ - २५७ ___ ४६ १३८ ३१६ २६९ ११३ २३८ २११ २१२ शाखास्मेरं (टी.) ... ... शिखरिणी व (टी.) ... ... शिञ्जानमञ्जु ... शिरामुखैः स्यन्द शिरीषादपि ... शिशिरशनिश्च ... शीतांशोरमृ ... शीर्णघ्राणाङ्गि शीर्णपर्णाम्बु ... शून्यं वासगृहं ... शूरास्तु वीररौ ... शूलं शलन्तु शं... शृङ्गारहास्यवर्ज ... शृङ्गारी गिरिजा... शृङ्गोत्खातभुवः (टी.)... शेतां हरिर्भवतु (टी.) शैलात्मजापि ... शैलेन्द्रप्रतिपा ... शैशवेऽभ्यस्त (टी.) ... शोकेन (टी.) ... ... शोभान्धौ गन्ध (टी.) श्यामाखङ्गं ... श्यामां श्यामलि... ... श्यामां स्मित (टी) श्यामेष्वङ्गेषु (टी.) श्रियः पतिः (टी.) श्रीपरिचया ... श्रुतिसमधिक ... श्रुतेन बुद्धिय॑ ... श्वासा वाष्पजलं... षोडशनायक ... स एकत्रीणि ... स एषभुवनत्र ... :::::::::::::::::::: २२२ : :: :: :: :: :: :::::::::::::::::::::: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: ::::::: १२९ | सकलमहीभृत् (टी.) ... ४६ / स किलेन्द्रप्रयु (टी.) ... | स खञ्जरीटा (टी) ... २९७ | सग्गं अप्परिया... २७१ | स गतः क्षिति ... स च्छिन्नवन्ध (टी.) | सज्जेइ सुरहि (टी.) सततमनङ्गो (टी) | स तत्त्वदर्शना ... सत्यं त्वमेव सर... ३२६ | सत्यं मनोरमाः ... सत्वं सम्यक्स ... सलारम्भरतो ... | सत्वारम्भरतो ... सदक्षिणापाङ्ग ... ... सदाप्नोति पति (टी.) सदा मध्ये यासा ... सदाव्याजवशा (टो.) ... संध्यां यत्प्रणि ... ... सपदि पति ... ... | सपदि हरिसखै (टी.)... | स पातु वो यस्य (टी.) | स पातु वो यस्य (टी.) सभायां तादृश्यां (टी) सभ्रूभङ्गं कर ... ... समदमतङ्गज ... ... समस्तगुणसंप (टी.) समानयनमा ... समुत्थिते धनु ... सम्यग्ज्ञातम ... ३२२ सयणं चेवणि (टी) २७० | स यस्य दशकन्ध २०७ / स रणे सरणेन ... ... १८४ २२२ ... १०६ ... १२३ in22 ० - २७० १०६ mr ११३ १५८ २१४
SR No.010673
Book TitleKavyanushasanam Satikam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Sharma
PublisherKashinath Sharma
Publication Year1901
Total Pages376
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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