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________________ 16 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements थी, जहां गांधी जी आकर ठहरा करते थे, इससे भी इस स्थान का महत्त्व बड़ा हुआ था। नवभारत टाइम्स हिन्दी के स्वनाम धन्य विख्यात संपादक श्री अक्षय कुमार जी इसी कोठी में रहा करते थे, नं. 7 दरियागंज में हिन्दी जगत के जाज्वल्यमान नक्षत्र जैनेन्द्र जी तथा यशपाल जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकार रहा करते थे। हिन्दी जगत में यह त्रिमूर्ति दरियागंज की नाक थी। इनसे दरियागंज का गौरव बढ़ा | हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद्रजी जैनेन्द्र जी से मिलने यहां पधारा करते थे, जब सन् 1957 में मैं दिल्ली आ गया तो दरियागंज में ही रहता था, फलत: इन तीनों के साथ बड़े घनिष्ठ संबंध हो गये। प्रातः काल घूमने गांधी समाधि जाते तो वहां मोहनसिंह सेंगर, विष्णु प्रभाकर, जगन्नाथ जी, ठाकुर सा. आदि कई प्रतिष्ठित साहित्यकार एक साथ बैठकर साहित्यिक, राजनैतिक तथा अन्य मनोरंजक चर्चाएं किया करते थे। चूंकि मैं 7 नं दरियागंज में रहता था अत: जैनेन्द्र जी और यशपाल जी के घर तो मेरे लिए सदैव खुले रहा करते थे, उनसे बहुत कुछ सीखा। मोहनसिंह जी सेंगर आकाशवाणी दिल्ली के हिन्दी विभाग के प्रोड्यूसर थे, जिन्होंने मेरी अनेकों शोधपूर्ण वार्ताएं आकाशवाणी दिल्ली से प्रसारित कराईं, अस्तु । मूलचर्चा वी. से मं की हो रही थीं तो ला राजकृष्ण ने अपना 21 नं दरियागंज वाला प्लाट वी.से. म की कमेटी को बेच दीं, उन दिनों बाबू छोटे लाल जी कलकत्ता बड़े प्रभावशाली व्यक्ति थे और उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे वी.से.मं. 'अनेकान्त' और मुख्तार सा. तीनों के प्रति बड़े भक्ति भाव से समर्पित थे । उन्होंने 21 नं. दरियागंज के विशाल भवन के निर्माण के लिए स्व. साहुशान्तिप्रसाद जी से अनुरोध किया तथा समाज से अपील की, फलस्वरूप यह विशाल भवन तैयार हुआ। स्व. बाबू छोटेलाल जी दमे के मरीज थे, फिर भी मई-जून की गर्मियों में स्वयं छतरी लेकर इस भवन के निर्माण कार्य का निरीक्षण करते थे। उन्होंने एक उत्कृष्ट शोध संस्थान के अनुरूप इसका निर्माण कराया, जब विशाल भवन तैयार हो गया तो इसका उद्घाटन के बाद श्रद्धेय 'मुख्तार सा. सदल-बल विशाल ग्रंथागार के साथ दिल्ली आ पधारे, सरसावा की चमकती हुई काष्ठ और शीशे की अलमारियां वहीं छूट गई और गोदरेज की स्टील की अलमारियों की पंक्ति दरियागंज भवन में अलंकृत हो गई। उनमें सरसावा का अगाध शास्त्र भंडार दिल्ली के भवन में सुशोभित होने
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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