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________________ xxix पं जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर"व्यक्तित्व एव कृतित्व पूज्य उपाध्याय श्री १०८ ज्ञानसागर महाराज वर्तमान युग में विद्या और विद्यावान् के बहुत बड़े संरक्षक हैं। उनके पावन सान्निध्य में अनेक विद्वद्गोष्ठियाँ, शाकाहार सम्मेलन, पत्रकार सम्मेलन, श्रावक सम्मेलन, महिला सम्मेलन, बुद्धिजीवी सम्मेलन, डॉक्टर्स सम्मेलन इत्यादि अनेक सम्मेलन अपने-अपने सार्थक निष्कर्षों के साथ सम्पन्न हुए हैं। वे जैन सिद्धान्त के मर्मज्ञ मनीषी हैं और मुनिचर्या का निरतिचार पालन करते हैं। दिनांक 30 अक्टूबर 1998 से 1 नवम्बर 1998 तक देहरा तिजारा दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पर स्व. पं. जुगल किशोर मुख्तार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर महत्त्वपूर्ण गोष्ठी सम्पन्न हुई, जिसमें शतार्द्ध विद्वानों ने भाग लिया। इसमें मुख्तार सा. की साहित्य सेवा का बहुमान पूर्वक यशोगान किया गया। सभी ने यह आवश्यकता अनुभव को कि मुख्तार सा. की जो कृतियाँ वर्तमान में अनुपलब्ध हैं, उनका प्रकाशन कराया जाय। विद्वान् उनके ग्रन्थों का अवश्य अध्ययन करें। उनकी ऐतिहासिक और समालोचक दृष्टि को ध्यान में रखते हुए विद्वान् अपने लेखन में उनसे प्रेरणा ग्रहण करें। ___ वीर सेवा मंदिर के कार्यों को आगे बढ़ाया जाय। वीर शासन जयन्ती मनाने की जो परम्परा मुख्तार सा ने डाली थी, उसे कायम रखा जाय। वर्तमान में ऐतहासिक दृष्टि में दिगम्बरत्व को पीछे धकेलने का जो नियोजित प्रयास किया जा रहा है, उसका समुचित विरोध किया जाय और वास्तविकता को सामने रखा जाय। विजय कुमार शास्त्री दि जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी-322220 (जि. करौली, राजस्थान) 1. उपाध्याय श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज के साम्यभाव, अभीक्ष्णज्ञानोपयोगिता विद्वद्वात्सल्य, जैन विद्यावात्सत्य एवं समाज को धर्ममार्ग पर लगाने की भावना का मैं हृदय से श्रद्धावान हूँ। 2. आचार्य श्री पं. जुगलकिशोर जी मुख्तार व्यक्तित्व एवं कृतित्व संगोष्ठी मेरी दृष्टि में पूर्ण सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। अर्द्धशतक से अधिक
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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