SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ xx Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements छठवां सत्र साय 7.30 बजे प्रारम्भ हुआ। मंगलाचरण डॉ प्रकाशचन्द जैन ने किया। सत्र की अध्यक्षता पुरातत्वकला के पारखी साहित्यकार, इतिहासकार कालजयी कृति गोमटेश गाथा के रचयिता, जनप्रिय प्रवचनकार, गोपालदास बरैया पुरस्कार से सम्मानित, नीरज जैन सतना ने की। सत्र का संचालन यथानाम तथा गुण डॉ. फूलचन्द जी जैन 'प्रेमी', वाराणसी ने किया। आलेख वाचन डॉ सुपार्श्वकुमार जी जैन, बड़ौत, डॉ. शोभालाल जी जैन, जयपुर, डॉ नन्दलाल जी, रावा, डॉ सुशीलकुमार जी, कुराबली डॉ नेमीचन्द जी, खुरई डॉ अनिलकुमार जी, अहमदाबाद ने किया। सप्तम सत्र 1 11 98 को प्रात: 8 बजे प्रारम्भ हुआ। मंगलाचरण डॉ अशोककुमार जी जैन, लाडनूं ने किया। अध्यक्षता डॉ भागचन्द जी भास्कर, नागपुर ने की। डॉ साहब जैन एवं बौद्ध दर्शन के प्रौढ विद्वान् हैं देश और विदेश में अपनी विद्वत्ता एव खोजपूर्ण कृतियों के लिए प्रसिद्ध है। सत्र का संचालन डॉ अशोककुमार जी जैन, रुड़की ने किया। इन्होंने इस बड़े भारी भरकम सत्र को बडी कुशलता से संभाला क्योंकि जैन जगत् के सभी मनीषी विद्वानो को इस सत्र में अपने आलेखो का प्रस्तुतीकरण करना था। डॉ रमेशचन्द जी जैन, बिजनौर, डॉ अशोक कुमार जैन, लाडनू डॉ. जयकुमार जी जैन, मुजफ्फरनगर चोटी के विद्वान्, प शिवचरणलाल जी शास्त्री, मैनपुरी प अनूपचन्द जी, न्यायतीर्थ जयपुर, डॉ कमलेश जैन नई दिल्ली, प अरुणकुमार जी जैन ब्यावर, श्री नीरज जी जैन सतना, श्री निर्मल जी जैन सतना, डॉ कपूरचन्द जैन खतौली, डॉ सुरेशचन्द जैन दिल्ली, डॉ पुष्पा जैन वाराणसी ने अपने-अपने आलेखो को बडे विद्वतापूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। सत्र की समाप्ति पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागर जी महाराज के मगल आशीर्वाद के साथ हुई। उन्होंने कहा कि जैन विद्वान श्रमणसंस्कृति एव आर्ष परम्परा की धरोहर हैं । इन विद्वानों का सरक्षण होना चाहिए। उनकी कृतियो, कार्यों का प्रचार-प्रसार अवश्य होना चाहिए। प गोपालदास बरैया, प मक्खनलाल जी शास्त्री, प कैलाशचन्द जी शास्त्री, प महेन्द्रकुमार जी न्यायाचार्य, पं. बंशीधर जी व्याकरणाचार्य, प. मिलापचन्द जी शास्त्री, जयपुर इन विद्वानो के स्वर्गवासी हो जाने पर आज तक उनका विकल्प जैन समाज
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy