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________________ 210 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements भाव-पाहुड ग्रन्थ परिचय में उनका अन्वेषण परक कथन है कि आत्मानुशासन ग्रन्थ में गुणभद्राचार्य उनका अनुसरण करते हैं। रयण सार ग्रन्थ परीक्षण में गाथाविभेद, विचार पुनरावृत्ति, अपभ्रंश पद्यों की उपलब्धि, गणगच्छादि उल्लेख और बेतरतीबी आदि के कारण यह सन्दिग्ध ही है कि इसके कर्ता कुन्दकुन्द ही हैं। "थोस्सामि थुदि" अपरनाम तित्थयरभत्ति के छन्दों की श्वेताम्बर पाठ से तुलना की गयी है जिस पर न्यूनाधिक पाठ से यह उभय संप्रदाय मान्य बतलाया है। प्रस्तावना में तिलोयपण्णत्ति और यतिवृषभ विषयक इतिहास मर्मज्ञ नाथूराम प्रेमी एवम् सिद्धान्त ग्रन्थों के ख्यातिलब्ध सम्पादक पं. श्री फूलचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री के मतों के आधारभूत तर्कों की गहन पर्यालोचना करके उनका ग्रन्थान्तः साक्ष्य वहिः साक्ष्य आदि समर्थ प्रमाणों से निरसन किया है। प्रस्तावना में अन्य मतों की समीक्षा में उनकी विवेचन और विश्लेषण की विधि में सर्वत्र उनकी सूक्ष्मेक्षिका प्रतिभा निदर्शित होती है एक-दो प्रमाण उपस्थापित करके ही वे शान्त नहीं होते, अपितु प्रमाणों की भरमार से विपक्षी को विस्मित कर देते हैं; बगले झाँकने को मजबूर कर देते हैं। प्रकृत प्रस्तावना ज्ञान विज्ञान की सामग्री से भरपूर है और विद्वानों को मनन चिन्तन के नव-आयाम प्रदान करने वाली है। प्रस्तावना से उनके विशाल ऐतिहासिक ज्ञान की महत्ता तो प्रकट होती ही है साथ में विषय विश्लेषण की अपूर्व क्षमता प्रकाशित होती है। ग्रन्थ के अन्तरंग और बहिरंग स्वरूप के विश्लेषण में, उनकी दृष्टि सतीक्ष्ण है। ग्रन्थ के स्रोत और सन्दर्भो का तुलनात्मक अध्ययन, एक-समान अर्थ वाले सन्दर्भो की खोज शब्द के विविधरूपों पर विचार सम्यक् पाठ निर्णय ग्रन्थ का संक्षिप्त वर्ण्य विषय, तथा उसका तुलनात्मक अध्ययन, ग्रन्थकार का परिचय, अन्तरंग बहिरंग प्रमाणों के आधार से ग्रन्थकार का काल निर्धारण गुर्वावली के आलोचन पूर्वक गुरू परम्परा का निर्धारण ग्रन्थकार वैदुष्य आदि के पर्यालोचन प्रणाली ने उन्हें अनुसन्धाताओं का शिरोमणि बना दिया।
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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