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________________ 185 पं. जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व एव कृतित्व प्रकाश"नामक ग्रंथ में सामाजिक, दार्शनिक, राष्ट्रीय भक्तिपरक, आचारमूलक एवं जीवनशोधक 32 निबंध प्रकाशित हैं। 4. भाष्यकार: स्वर्गीय पं. मुख्तार जी मेधावी भाष्यकार भी थे। आपने आचार्य समन्तभद्र की प्रायः समस्त कृतियों पर भाष्य ग्रंथ लिखे हैं, ऐसे प्रत्येक ग्रंथ में महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना भी दी हुई है, जिससे वे भाष्यग्रंथ और भी अधिक उपयोगी बन गये हैं। 5. इतिहासकारः आपने अनेक ऐतिहासिक शोध-निबंधों को लिखकर अपने को एक सच्चा इतिहासकार प्रमाणित कर दिया। ऐतिहासिक शोध-खोज के लिये जिस परिश्रम और ज्ञान की आवश्यकता होती है वह परिश्रम और ज्ञान मुख्तार साहब को सहज में ही उपलब्ध था। उनके इस प्रकार के विशेष उल्लेखनीय निबंध "वीरशासन की उत्पत्ति और स्थान" "श्रुतावतारकथा" "तत्त्वार्थाधिगमभाष्य और उनके सूत्र""कार्तिकेयानुप्रेक्षा और स्वामी कुमार" आदि। 6. प्रस्तावना लेखक : श्री पं. जुगलकिशोर जी ने स्वयम्भूस्तोत्र, युक्त्यनुशासन, देवागम, अध्यात्मरहस्य, तत्त्वानुशासन, समाधितन्त्र, पुरातन जैन वाक्यसूची, जैनग्रंथ प्रशस्ति संग्रह, (प्रथम भाग), समन्तभद्र भारती आदि ग्रंथों का सम्पादन कर महत्त्वपूर्ण प्रस्तावनायें लिखी, जो पाठकों के लिये अत्यंत उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक हैं। 7. पत्रकार एवं सम्पादकः पण्डित जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर" प्रथम श्रेणी के पत्रकार और सम्पादक थे। आपका यह रूप साप्ताहिक "जैन गजट" के सम्पादन से प्रारंभ हुआ। नौ वर्षों तक इसका सफल सम्पादन करने के उपरांत आपने "जैनहितैषी" का सम्पादकत्व स्वीकार किया और यह कार्य अत्यंत यशस्वितापूर्वक 1931
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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