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________________ १७४ विधाह क्षेत्र-प्रकाश। परिशिष्ट। मलधारि देवप्रभसरिम, अपने पाण्डवपुराण में, देवकीके पिताको माम देवक' दिवा है और उसे कंसका चचा (वितव्य पिताका भाई) सूचित किया है । साथ ही, लिखा है कि कंपने अपने बच्चा देवककी सुन्दर रूपवती पत्री देवकीका विवाह उसके अनुरूप वर वसुदेव के साथ कर दिया था।' यथाः पुत्री निजपितृव्यस्य देवकस्य स देवकीम् । सुरूपामनुरूपेण शौरिणा पर्यणाययत् ।।५-१६।। इससे भी स्पष्ट है कि देवको कप्लके मामाकी लड़की नहीं थी और न वह कुरुवंशमें ही उत्पन्न दुई थी; बहिक यदुवंशी राजा उग्रसेनके सगे भाई देवक ( देवसेन) की पुत्री थी और इस लिये बह कुटुम्बके नाते यमदेवको भतीजी हुई। इस पस्तकके व पृष्ठ पर यह बतलाया गया है कि हिन्दुओं के यहां भी देवकी के पिता देवकको कंसके पिता उप्र. सेनका सगा भाई माना गया है परन्तु एक बात प्रकट करने से रह गई थी और वह यह है कि इन लोगों को यदुवंशी भी माना है-अयान, जिस तरह वसुदेवजी यदुवंशी थे उसी बरह देवकी के पिता देयक भी यदुवंशी थे: दोनोंही का जन्म यदुक पत्र कोट या क्राप्टाकी संततिम माना गया है, जिसके बंशका विस्तन वर्णन महाभारतीय इग्विंशपरगण को देखने से मास्लम हो सकता है और इससे स्पष्ट है कि प्राचीन काल में हिम्प्रोके यहाँ भी सगोत्र-विवाह होता था। श्रीकृष्णकी सत्य
SR No.010667
Book TitleVivah Kshetra Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJohrimal Jain Saraf
Publication Year1925
Total Pages179
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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