SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का०५५ युक्तयनुशासन मौजूद है अतः वह प्रमाण है, उसके अप्रमाणता नहीं है, क्योकि अप्रमाणता अनन्तस्वभावके समाश्रयरूप सामान्यके घटित होती है तो ऐसी मान्यतावाले सामान्यवादियोंसे यह प्रश्न होता है कि उनका वह सामान्य अपने व्यक्तियोंसे अन्य ( भिन्न ) है या अनन्य ( अभिन्न ) ? यदि वह एक स्वभावके आश्रयरूप सामान्य अपने व्यक्तियोंसे सर्वथा अन्य ( भिन्न ) है तो (उन व्यक्तियोके प्रागभावकी तरह असदात्मकत्व, अद्रव्यत्व, अगुणत्व अथवा अकर्मत्वका प्रसग आएगा और व्यक्तियोंके असदात्मकत्व, अद्रव्यत्व, अगुणत्व अथवा अकर्मत्व-रूप होनेपर सत्सामान्य, द्रव्यत्वसामान्य, गुणत्वसामान्य अथवा कर्मत्वसामान्य भी व्यक्तित्वविहीन होनेसे अभावमात्रकी तरह असत् ठहरेगा, और इस तरह-)व्यक्तियों तथा सामान्य दोनोंके ही अनात्मा-अस्तित्वविहीनहोनेपर वह अन्यत्वगुण किसमे रहेगा जिसे अद्विष्ठ- एकमे रहने वाला माना गया है किसी भी उसका रहना नहीं बन सकता और इसलिए अपने व्यक्तियोसे सर्वथा अन्यरूप सामान्य व्यवस्थित नहीं होता।' (यदि वह सामान्य व्यक्तियोसे सर्वथा अनन्य (अभिन्न ) है तो वह अनन्यत्व भी व्यवस्थित नहीं होता, क्योकि सामान्यके व्यक्तिमे प्रवेश कर जानेपर व्यक्ति ही रह जाती है-सामान्यकी कोई अलग सत्ता नहीं रहती और सामान्यके अभावमे उस व्यक्तिकी सभावना नही बनती इसलिए वह अनात्मा ठहरती है, व्यक्तिका अनात्मत्व (अनस्तित्व) होनेपर सामान्यके भी अनात्मत्वका प्रसग आता है और इस तरह व्यक्ति तथा सामान्य दोनों ही अनात्मा (अस्तित्व-विहीन ) ठहरते हैं, तब अनन्यत्वगुणकी योजना किसमे की जाय, जिसे द्विष्ठ ( दोनोमे रहने वाला ) माना गया है ? किसीमे भी उसकी योजना नही बन सकती । और इसके द्वारा सर्वथा अन्य-अनन्यरूप उभय-एकान्तका भी निरसन हो जाता है, क्योकि उसकी मान्यतापर दोनो प्रकारके दोषोका प्रसग पाता है।) 'यदि सामान्यको (वस्तुभूत न मान कर) अवस्तु (अन्याऽपोहरूप) ही इष्ट किया जाय और उसे विकल्पोंसे शून्य माना जाय
SR No.010665
Book TitleYuktyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1951
Total Pages148
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy