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________________ प्रकाशकीय यह 'निबन्धावली' आचार्य श्रीजुगलकिशोरजी मुख्तार 'युगवीर'के साहित्य और इतिहास विषयक उन निबन्धोंसे पृथक् है, जिनका एक सग्रह 'जैनसाहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश' नामसे, प्रथम खडके रूप में, ७५० पृष्ठका, प्रकाशित हो चुका है, दूसरा वड प्राय उतने ही पृष्ठोका प्रकाशित होने को है, और तीसरा खड जैनग्रन्थोकी उन परीक्षा प्रोसे सम्बन्ध रखता है जिन्होने महान् प्राचा के नाम पर प्रति कुछ जाली ग्रन्थोका भंडाफोड किया, दूसरोकी कृतियोको अपनी कृति बनानेवालोका पर्दा फाश किया, समाजमे असाधारण विचार क्रान्ति उत्पन्न को और अनेक भूल-भ्रान्तियो तथा मिथ्या धारणाओ के विषयमे समाजके विवेकको काफी जाग्रत किया । इस खडका पृष्ठ-परिमाण और भी अधिक है । इस निबन्धावलीको जिसमे इतस्तत बिखरे हुए सामाजिक तथा धार्मिक निबन्धोका सग्रह है, दो ग्वडोमे विभाजित किया गया है, जिनमे यह पहला खड विविध विषयके महत्वपूरण मौलिक निबन्धोको लिये हुए है, जिनकी सख्या ४१ है । दूसरे खडमे निबन्धोको १ उत्तरात्मक, २ समालोचनात्मक, ३ स्मृति-परिचयात्मक, ४ विनोदशिक्षात्मक और ५ प्रकीरणक-जैसे विभागों मे विभक्त किया गया है और उनकी मख्या ६० से ऊपर है । पहले खडमे प्रथम निबन्धको छोडेकर शेष निबन्धोको उसी क्रमसे रखा गया है, जिस क्रमसे उनका निर्माण हुआ है। इसका विशेष परिचय साथमे दी गई निबंधसबसे सहज ही प्राप्त हो सकेगा। दूसरे वडमे भी निबन्वोको अपने-अपने विभागानुसार काल-क्रमसे रखनेका विचार है ।
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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