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________________ જરે युगवीर-निबन्धावली यह स्वतन्त्रता एक प्रकारका अभिशाप बन रही है और साधारण अदूरदर्शी एव अविवेकी लोगोको यह कहनेका अवसर मिल रहा है कि 'इस स्वतन्त्रतासे तो परतन्त्रता अच्छी थी' । इधर पास खड़े कुछ बाहरी शत्रु भी आगमे ईंधन डालकर उसे भडेका रहे हैं और इस बातकी फिकरमें है कि इन भारतवासियोको स्वराज्यके अयोग्य करार देकर फिरसे इनकी गर्दन पर सवारी की जाय-अपने निरकुश शासनका जूना उन पर रक्खा जाय । ऐसी हालतमे नेतामोका कार्य बडा ही कठिन और जटिल हो रहा है । उन्हें सुखकी नीद सोना तो दूर रहा, सुखपूर्वक सास लेनेका भी अवसर नही मिल रहा है। उनकी जो शक्ति रचना मक, व्यवस्थात्मक और देशको ऊपर उठानेके कार्यो में लगती और जिनसे उनकी असाधारण कालियत (योग्यता ) जानी जाती, वह आज इस व्यर्थके गृह कलह के पीछे उलझी हुई है । इसमे सन्देह नहीं कि पाकिस्तानने हिन्दुस्तान (भारत) के साथ विश्वासघात किया है और नेताओको मस्त धोखा हुअा है, परन्तु इसमें भी मदेह नहीं है कि भारतके प० जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल-जैस नेता बडी तत्परताके साथ काम कर रहे हैं और उन्होने दिन-गत एक करके थोड़े ही ममयमें वह काम करके दिखलाया है जो अच्छे-अच्छे राजनीतिज्ञ और कार्यकुशल व्यक्तियोके लिये ईर्षाकी वस्तु हो सकती है । इस समय उनकी सारी शक्ति हिन्दू, सिख आदि शरणाथियोको पाकिस्तानसे निकालने और पूर्वी पजाबसे मुसलमान शररणार्थियोको सुरक्षितरूपमे पाकिस्तान भिजवानेमे लगी हुई है । वे हिन्दुस्तानमे पाकिस्तानकी पक्षपातपूर्ण और धर्माधि साम्प्रदायिक विद्वेषकी नीतिको किसी तरह भी अपनाना नहीं चाहते। उनकी दृष्टिमें सारी प्रजा-चाहे वह हिन्दू, मुसलमान, सिख, जैन, ईसाई, पारसी आदि कोई भी क्यो न हो-समान है और वह सभीके हितके लिये काम करके दुनियामे एक आदर्श उपस्थित करना चाहते हैं।
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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