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________________ अनेकान्त-रस-लहरी (१) ३५ छोरापन और बड़ापन एक दिन अध्यापक वीरभद्रने, अपने विद्यार्थियोको नया पाठ पडानेके लिये बोर्ड पर तीन-इचकी एक लाइन खीचकर विद्यार्थीसे पूछा बतलामो यह लाइन छोटी है या बडी?' । विद्यार्थीने चटसे उत्तर दिया- 'यह तो छोटी है।' इसपर अध्यापकने उस लाइनके नीचे एक-इचकी दूसरी लाइन बनाकर फिरसे पूछा __ 'अब ठीक देखकर बतलाओ कि परकी लाइन न० १ बड़ी है या छोटी ?' विद्यार्थी देखते ही बोल उठा-'यह तो साफ बडी नज़र माती है।' अध्यापक-अभी तुमने इसे छोटी बतलाया था १ विद्यार्थी-हाँ, बतलाया था, वह मेरी भूल थी। इसके बाद अध्यापकने, प्रथम लाइन न. १ के ऊपर पाँच-इचकी लाइन बनाकर और नीचेवाली एक-इची लाइनको मिटाकर फिरसे पूछा__ 'अच्छा, अब बतलायो, नीचेकी लाइन न० १ छोटी है या बड़ी
SR No.010664
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages485
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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