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________________ WA (३०) महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी कृत. तुज वचन राग सुख आगले, नवि गाएं सुर नर शमरे । कोडी जोकपट कोइ दाखवे, नवि तर्जु तोए तुज धर्मरे॥स्वामी०॥११९॥ तुं मुज हृदयगिरिमा वसे, सिंह जो परम निरीहरे। कुमत मातंगनाजुथी, तो कशीप्रभु मुज वोहरे ॥ स्वामी० ॥१२०॥ कोडीछे दास प्रभु ताहरे, माहरे देव तुं एकरे। कीजिए सार सेवक तणी, ए तुज उचित विवेकरे ॥ स्वामी० ॥१२१॥ भक्ति नावे इस्युं भाखीए, राखीए एह मनमांहीरे। वासनां नव दुःख वारिए, तारिए सो ग्रही बांहीरे ॥ स्वामी० ॥१२२ ॥ वाल जेम तात आगल कहे, विनवु हुं तेम तुजरे । उचित जाणो तेम आचलं, नवि रह्यो तुजकिस्युं गुजरे।।स्वामी०॥ १२३॥ मुज होजो चित्त शुभभावथी, भव भवताहरी सेवरे । याचिए कोडी यतने करी, एह तुज आगले देवरे॥स्वामी० ॥ १२४ ॥ ॥ कलश ॥ हरिगीत छंद. इम सकल सुखकर दुरित भयहर, विमल लक्षण गुणधरो। प्रभु अजर अमर नरिंद वंदित, विनव्यो सीमंधरो॥ निज नाद तर्जित मेघ गर्जित, धैर्य निर्जित मंदरो। श्री नयविजय बुध चरणसेवक, जशविजय बुध जय करो।स्वामी० ॥१२५॥ Baral GarhxKAAM Vol इतिश्रीमन्महोपाध्यायगणिश्रीयशोविजयजी कृतं सीमंधरजिनस्तवनं बालावबोधसहितं संपूर्णम्.
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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