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________________ ( १२१ ) एह षट नाम गुण ठाम तप गणतया, शुद्ध सदहण गुण रयण मां घणा ॥ एह अनुगत परंपर भणी सेवता, ज्ञानयोगी विबुध प्रगट जग देवता || २३ ॥ अर्थ - ए घट नाम के० ए पूर्वोक्त छ नाम ते केवां के जे गुणनां स्थानक छे ते तप गण तणा के० तपगच्छना जाणवा शुद्ध सद्दहणा के० शुद्ध श्रद्धावंत गुणरयण के० गुणरूप रत्न ते ए तप गच्छमां घणा के एटले श्रद्धावंत गुणवंत घणा के ए अनुगत परंपर के० स्वतंत्र परंपरा आवी एटले जेनी परंपरामां त्रुट पडी नथी तेनुं नाम अनुगत परंपरा कहियें तेभणी के० ते माटे सेवतां के० सेवा करता एवा कोण छे जे ज्ञानयोगी विबुध के० ज्ञान संयोगवंता पंडित अनुगत परंपरानी सेवा करे छे. इति योगः । प्रगट जग देवता के० ए जगतने विषे प्रगटपणे देवताज छे एटले पंडित लोक शुद्ध परंपरानीज सेवा करे ॥ २३ ॥ कोई कहे मुक्ति छे विणतां चिथरां, कोइ कहे सहज जमतां घर दहिथरां ॥ मूढ ए दोय तस भेद जाणे नही, ज्ञान योगे क्रिया साधतां ते सही ॥ २४ ॥ अर्थ- हवे सर्व अधिकार कहीने छेडे निश्रय तथा व्यवहार नय फलाववा ते फलावे छे. aise व्यवहार नय वादी कहे छे जे विणतां चिथरां के० पडिलेहणा पडिकमणादिक तथा फाटां तुटां वस्त्रादिक परतां इत्यादिक कष्ट करतां मुक्ति के के० मुक्ति पामियें तथा कोइक निश्रयवादी एम कहे छे जे सेहेज रीते घरने विषे दहिथरां जमतां उपलक्षणथी प्रवर मोदक प्रमुख लेवा एटले निश्चय नयवाला कहे छे जे कष्ट करे शुं थाय खुब खानुं पीवुं पण तत्व ज्ञान पयुं एटले सिद्धि जाणवी. एबी जूदी जूदी रीतना बोलनारा ते बेहु मूढ के सूर्ख छे एटले ते मोक्ष साधवानो भेद के० प्रकार जाणता नयी केमके ज्ञानने संयोगे क्रिया सासही के० ते मुक्ति सत्य छे. यतः- “ नाणकिरियाहिं मुक्खो" इति वचनात् तथा"हयं नाणं कियाहिणं, हया अन्नाणओ किया ॥ पासंतो पंगुलो दट्टो, धावमाणो अ अंघओ ॥१॥ एवं सव्वे विनया, मिच्छादिठ्ठी सपक्खपडिवद्धा || अन्नोन्ननिस्सिया उण, हवंति ते चैव सम्मत्तं ॥ २ ॥ इत्यादिक आवश्यक निर्युक्ति वचनात् ॥ २४ ॥ ० सरल भावें प्रभो शुद्ध एम जाणतां हुं हुं सुजश, तुझ वचन मन आणतां ॥ पूर्व सुविहिततथा ग्रंथ जाणी करी, मुझ होजो तुझ कृपा जव पयोनिधि तरी ॥ २५ ॥ - या हे भी एम के० ए रीतें सरल स्वभावें करी बेहु नये सिद्धि के ए रीते
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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