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________________ (२०४) "तत्सूत्र-"एयं च अस्थि लक्खणमिमस्स निसेस मेव धनस्स | तह गुरुयाणासंपाढणचगमग इह लिंग ॥१॥" इत्यलं विस्तरेण माटे सात कहियें छैये हवे सातमा लक्षण स्वरूप कहे छे गुरु जे छत्रीस छत्रीसी गुणे विराजमान तेना चरणनी सेवाने विषेरक्त होय तथा गुरु आदिकनी आज्ञा आराघतो थको वली ते साधु एम जाणे जे सर्व आचारर्नु मूल ते गुरु छे गुरुथी सर्व प्रगट थाय ते चतुरसुजाण एम जाणे ए सातमो गुण कह्यो ।। १८ ॥ ए सात गुण लक्षण वर्यो, जे जावसाधु उदार | ते घरे सुखजश संपदा, तुजचरणे हो जश नक्ति अपार ॥ सा०॥१३॥ अर्थ-ए सात लक्षणने गुणे करी वरयो थको एवो जे भावसाघु उदार के प्रधान वे "मुख जशनी संपदांने वरे के० पामे एटले उत्कृष्ट जे मोक्षमुख तेने तो ते बरे जे हे सर्वज्ञ केवलज्ञान भास्कर तमारा चरणने विषे जश के जेने अपार भक्ति होय ते बरे ॥ १९ ॥ ॥ ढाल पनरमी॥ चौदमी ढालमा प्रथमथी मांडीने जेटली वात लखी छ 'ते'सर्व धर्मरनमूत्र वृत्तियी लेखी छे पण ते ग्रंथमा विस्तार घणो छे ते जोइ लेजो ए चउदमी ढालमां साधुनां लक्षण ‘कयां ते लक्षण कहेतां मुनिराज उपर बहुमान उपर्नु ते बहुमानना हर्षे करी पत्नरमी ढाल मध्ये साधुना गुण वर्णन करे छे ए संबंधे पनरमी ढाल कहे छे. ॥ आज मारे एकादशीरे, नणदल मौन करी मुख रहीयें-ए देशी.॥ धन्य ते मुनिवरारे, जे चाले समजावें | "नवसायर लीलाए उतरे, संयम किरिया नावें ॥ धन्य०१॥ अर्थ-जे मुनिमा प्रधान सरिखा समभावे चालनारा राग द्वेष रहितपणे विचरे ते मुनि'राजने धन्य छे ते मुनि संयम जे चारित्र तेनी जे क्रिया तद्रूप नावें के नावायें करीने भवसायर के० संसारसमुद्रनो लीलायें के० सेहेजमां पार उतरे छे ।।१।। लोग पंक तजी उपर बेठा, पंकज परें जे न्यारा॥ 'सिंहपरें निज विक्रम शूरा, त्रिभुवन जन आगारा || धन्य०२॥ अर्थ-भोग जे पंचेंद्रीना विपय तद्रूप जे पंक के० कचरो ते तजीने उपर बेठा के अलगा रह्या अने पंकज के कमलनी पेठे जे न्यारा छे एटले कमल, ते कचराथी उपनो अने कचराथी न्यारो रहे तेम मुनिराज पण भोगरूप कचरामा उपना अने ते भोग छांडीने अलगा रहा इतिभावः वली सिंहनी पेठे पोतानो विक्रम के० पराक्रम फोरववाने शूरवीर छेवली स्वर्ग मृत्यु ने पातालरूप जे त्रणभुवनना लोकने आधाररूप छे ॥२॥
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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