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________________ (१०६) श्री महामहोपाध्याय यशोविजयनी कृत. कहे. तथा द्रव्यार्थिकनये जीवगुण प्रतिपन्न ते सामायिक १३ कइविई के केटला प्रकारखं सामायिक ? यथा त्रण प्रकारे. समकित सामायिक १ श्रुत सामायिक २, चारित्र सामायिक ३, इत्यादिक कहेवू १४. कस्स के० कोण पुरुषने सामायिक होय ? तेहनो उत्तर कहे छे. जेहने आत्मा समता भावे परिणम्यो तेहने सामायिक. १५ फर्हि के० कोने विषे सामायिक, वेहमा तो क्षेत्र दिशि प्रमुख घणां द्वार कह्यां छे. १६ केसं के० कोण सामायिक द्रव्यपर्यायने कहिए? १७ कहं के० केम सामायिक पामोए ? त्यां मनुष्य क्षेत्र, जावि कुल इत्यादिक विस्तार घणो छे. १८ केचिरं हवइ कालं के कोण सामायिक केटलो काल रहे ? ते कहे. १९ कइ के० केटला जीव कोणसामायिकना समकाले नवा पामता तथा पूर्व मविपन्न पामे ? ते कहे. २० संतर के० ए त्रण सामायिकनुं अंतर कहे जे फरी पामे तो केहुं सामायिक केटले काले पामे ते कहे ? २१ अविरहियं के० एत्रण सामायिक संवत रहेको केहुं सामायिक केटला काल लगे रहे ? ते कहे. २२ भव के. केटला भवमा उत्कृष्ट केहुं सामायिक आवे? ते कहे. २३ आगरिस के० आकर्ष-एक भवमा कोण सामायिक केटली वार आवे अने जायी तथा नाना भवमां कोण सामायिक केटली वार आवे अने जाय? ते कहे. फासणा के० कोण सामायिकवंत केटल क्षेत्र फरसे ? कहे. २५ निरुचि के निरुक्ति कहेवी. यथा सम्यग्दृष्टि कहीए, अमोह कहीए. जेम शोषी, सद्भाव, दर्शनबोधि, अविपर्याय अने सुदृष्टि ए समकितनी निरुक्ति. एम चारित्रनी निरुक्ति पण कहेवी. २६ ए वेउ मूल गाथा अनुयोगद्वारमध्ये छे. तेहनो संक्षेप अर्थ कहो. एहना उत्तर सर्वे विस्तारार्थ वो आवश्यक नियुक्ति तथा टीका तथा विशेषावश्यक थकी जाणवो. पण नियुक्ति तथा टीका तथा भाष्य न माने तेहने ए वे गाथाना अर्थन ठेकाणु कीयु ? ए वे गाथाए नियुक्ति मानवी कवुल थइज छे. मूर्ख लोक कदाग्रहे न माने तो शुं थयु? पण मध्यस्थने तरत नजरमां आवे. ते माटे नियुक्ति न माने तो सर्व सूत्र न मान्या. सूत्रनो अनुयोग नियुक्तिने हाथे छे. कूडा के० ते कुति, कूडा छे, जूठा. जे माटे सर्व सूत्रना पाठमां वांकु बोले छे. कपटी के० मायावो छे. जे माटे टीका प्रमुखने जोइने सूत्रना अर्थ वैध वेसारे, अने पूछीए वे वारे कद्देशे जे अमे टीका प्रमुख न मानीए. इत्यादिक कपटना करणहार छे. जे माने नहीं के एवा जे कूडा कपटी नियुक्ति प्रमुख न माने, तेहने कवण आधार के० ते पाणीने संसार समुद्रमा पडतां कोण आधार थाशे ? कोई नहीं थाय. इति भाव. इति सप्तदशमी गायार्थ ॥ १७ ॥ बली नियुक्तिना पाठ देखाडे छे. बद्ध ते सूत्ररे अर्थ निकाचिया । निजुत्तिए अपार ॥ उपधिमांन गणणादिक किहां लहे ॥ ते विणुमार्ग विचार ॥स०॥१८|| अर्थ-बद्ध के० वांध्यां ते सूत्र जाणवा. अर्थ के० अर्थ, निकाचिमा के निकाच्या, ते निचिए के० नियुक्तिने विषे, अपार के० घणा अर्थ-एटले ए भाव जे नंदी सूत्रने
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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