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________________ (७४) महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी कृत. स्नेहवंता छेएटले. उजला छे, लोहिताक्षरननी, मध्ये रेहा के० रेखा छ एटले नख मध्ये राती रेषा छे. इति द्वितीय गाथा ।। २॥ गात्र यष्ठि कंचनमय सारी । नाभि ते कंचनक्यारीरे ॥ १०॥ रिठरतन रोमराजि विराजे || चुचूक कंचन छाजेरे || ध०॥३॥ ___अर्थ-गात्रयष्ठि के० गात्र जे शरीर तद्रूपयाष्ट ते, कंचन के० सुवर्णमय, सारी के० मनोहर छे. इति भाव. नामि ते जाणीए, कंचननी क्यारीज होयना ! एवी महा मनोहर छे. रिठरतन के० श्यामरतनमयी रोमराजि विराजे छे. चुचूक के० स्तनप्रदेश ते कंचनमयी छाजे छे. इति तृतीय गाथार्थ ।। ३ ।। श्रीवच्छ ते तपनीय विशाला || होठ ते लाल प्रवालारे ॥ध०॥ दंत फटिकमय जीह दयालु ॥ वली तपनीयतुं तालुरे ॥ ध० ॥४॥ ___ अर्थ-श्रीवच्छ हृदयनामध्यभागे, ते तपनीय के लगारेक राता सुवर्णमय छे. विशाला के० विस्तीर्ण छे. होठ ते लाल के होठ राता परवाला सरखा छे. एटले सुंदर छे. दंत फटिक के दांत ते फटिक रत्नमयी छ. एवा उज्वल सफेद छ. जीह के जीव्हा, दयालु के० दयावंत छ. तथा वाल के तालवू, तपनीय के० रक्त सुवर्णमय छे. एटळे जीभ तथा तालवू ए पेट वानां रावां छे. इति सूर्य गाथार्थ ॥४॥ कनक नाशिका तिहां सुविशेषा । लोहिताक्षनी रेखारे ॥१०॥ लोहिताक्ष रेखित सुविशाला || नयन अंक रतनालारे ॥३०॥५॥ ___ अर्थ-कनक के० सुवर्णमय, नाशिका मुविशेषा के० घणां विशिष्ठाकारे छे, एटले महा मनोहर नाशिका छे. लोहिताक्षरतनी नाशिकामा रेखा छे एटले लाल रेखा छे. लोहिताक्षरतननी रेखाए रेक्षित एवा मुविशाला के० विशाल, नयन के० नेत्र छे. वली अंक रतनालां के० अफरत्नमयी छे. एटले उज्वल अने मध्ये राती टसरयो छे. ॥ इति पंचम गाथार्थ. ॥५॥ अच्छिपत्ति भमुहावली कीकी ॥ रिठरतनमय नीकीरे ॥३०॥ श्रवण निलाडवटी गुणशाला ॥ कंचन झाकझमालारे ॥ध०॥६॥ अर्थ-अच्छिपत्ति के० पापणो, भमुहा के उपर वांकी भांपणी. कीकी प्रसिद्ध छे. एत्रण वस्तु, रिवरतनमय, के० श्यामरतनमय, नीकी के० मनोहर छे. श्रवण के कान तथा, निलाडवटी के० भाल ते गुणशाला के० गुणनी शाला-स्थानक छे. ते कंचननां छे. शाकझमाला के० देदीप्यमान एहवां छे ॥६॥ वज्ररतनमय अतिहि सोहाणी ॥ शशघडी सुखखाणीरे ॥३०॥ केशभूमि तपनीय निवेशा । रिठरतनमय केशारे ॥ ५० ॥७॥
SR No.010663
Book Title125 150 350 Gathaona Stavano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanvijay
PublisherKhambat Amarchand Premchand Jainshala
Publication Year
Total Pages295
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Worship, & Religion
File Size14 MB
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