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________________ गाथा ६५ ] क्षपणासार [८९ असंख्यातगुणे है, एक स्पर्धकसम्बन्धीवर्गणा अनन्तगुणी हैं, उससे अनन्तगुणी क्रोधकी अपूर्वस्पर्धकवर्गणाएं हैं इससे मानादि कषायोंमें विशेषाधिक क्रमसे हैं, लोभके पूर्वस्पर्धक और उनकी वर्गणाओंसे क्रोधपर्यन्त आठपद अनन्तगुणित क्रमसे हैं । विशेषार्थः-अश्वकर्णकरण के प्रथम अनुभागकाण्डकके नष्ट होनेपर संज्वलनकषायोके शेष अनुभागसम्बन्ध अल्पबहुत्व इसप्रकार है-क्रोधकषायके अपूर्वस्पर्धक सबसे स्तोक हैं उससे मानकषायके अपूर्वस्पर्धक विशेषअधिक हैं, उससे मायाकषायके अपूर्वस्पर्धक विशेषअधिक और इससे लोभकषायसम्बन्धी अपूर्वस्पर्धक विशेष अधिक हैं । इनसे भी एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तरके स्पर्धक असंख्यातगुणे हैं, क्योकि अपूर्वस्पर्धक एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तरके स्पर्धकोके असख्यातवेंभागप्रमाण हैं । एकस्पर्धककी वर्गणाए अनन्तगुणी है, क्योंकि पूर्व या अपूर्वस्पर्धकोमें एकस्पर्धकसम्बन्धी वर्गणाए अभव्योंसे अनन्तगुणी और सिद्धोंके अनन्तवेभाग हैं, सर्वस्पर्धकों में वर्गणाओंका प्रमाण सदृश है । सज्वलनक्रोधकी अपूर्वस्पर्धकवर्गणाएं अनन्तगुणी हैं, क्योकि संज्वलनक्रोधके अपूर्वस्पर्धक अनन्त हैं तथा तत्सम्बन्धी वर्गणाएं एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तरके स्पर्धकों से असंख्यातवेंभागगुणी हैं । एकस्पर्धकसम्बन्धी वर्गणाओंको एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर के स्पर्धकोके असख्यातवेभागप्रमाण स्पर्धकोसे गुणा करनेपर संज्वलनक्रोधके सर्व अपूर्वस्पर्धाकोंकी संख्या प्राप्त हो जाती है जो एकस्पर्धकसम्बन्धी वर्गणाओंसे अनन्तगुणी हैं, उससे संज्वलनमानके अपूर्वस्पर्धकसम्बन्धी वर्गणाएं विशेषअधिक है, उससे सज्वलनमायाके अपूर्वस्पर्धकोकी वर्गणाए विशेषअधिक हैं तथा इससे संज्वलनलोभकषायके अपूर्वस्पर्धाकों की वर्गणाए विशेष अधिक हैं, क्योंकि अपूर्वस्पर्धाक विशेषअधिक क्रमसे है। लोभकषायके पूर्वस्पर्धक अनंतगुणे हैं, क्योकि पूर्वस्पर्धकोंके अनन्तवेंभागप्रमाण अपूर्वस्पर्धक हैं, अपूर्वस्पर्धक एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तरके असंख्यातवेंभाग हैं । अपूर्वस्पर्धाकोंको एकस्पर्धकवर्गणासे गुणां करनेपर अपूर्वस्पर्धककी वर्गणाका प्रमाण प्राप्त होता है । पूर्वस्पर्धकोंके अनन्तवेंभागप्रमाण पूर्वस्पर्धकसम्बन्धी नानागुणहानिशलाकासे एकस्पर्धकको वर्गणा अनन्तगुणीहीन है इसलिए अपूर्वस्पर्धकवर्गणाओंसे पूर्वस्पर्धक अनन्तगुणे हैं यह सिद्ध हो जाता है। सज्वलनलोभके पूर्वस्पर्धकोंकी वर्गणा अनन्तगुणी हैं, यहां गुणकार एकस्पर्धकसम्बन्धी वर्गणाशलाका है । मायाकषायके पूर्वस्पर्धक लोभकषायके पूर्वस्पर्धकोंसे मनन्तगुणे हैं, क्योकि अनुभागखण्डके नष्ट हो जानेपर लोभादि संज्वलनकषायोके पूर्वस्पर्धक
SR No.010662
Book TitleLabdhisara Kshapanasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mukhtar
PublisherDashampratimadhari Ladmal Jain
Publication Year
Total Pages656
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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