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________________ ॥ ०४ ॥ 3230 DERERE DERY विश्वाद्विदिभुजिभ्याम् ॥ ९५६ ॥ विपेः कित् ॥ ७६९ ।। विष्टपोलप-यः ॥ ३०७ ॥ बिहडकहोड-दयः ॥ १७२ ॥ विहायस्सुमनस् - सः ॥ ९७६ ॥ विहाविशा - केलिमः || ३५४ ॥ वीपतिपटिभ्यस्तनः ॥ २९२ ॥ वीयुसुवागिभ्योऽनिः ॥ ६७७ ॥ वीसज्ज्यसिभ्यस्थिक् ।। ६६९ ॥ वृकटिशमिभ्य आहः ॥ ५९२ ॥ वृकृमीमाभ्यः पः ॥ ५४० ।। गो व्रत् च ।। ६५५ ॥ ग्नक्षिपचित्रः ॥ ४५६ ॥ टङ एण्यः || ३८२ ॥ वृद्धः शप चान्तौ ॥ ३६९ ॥ वृजितुहि- कित् ॥ २८३ ॥ वृतुङ्घसु च ।। २४० ।। वृतिकः ।। ७५ ।। वृधृवृट्टसाभ्यो नसिः ॥ ७०९ ॥ वृधेर्वा ॥ २८२ ॥ वृमिथिदिशि - न्ताः ॥ ६०१ ॥ वैः साहाभ्याम् || ६०० ॥ वेगो डित् ॥ ६२८ ॥ वेतेरुतादिः || ३७८ || वौरिचेः स्वरा ॥ ६१७ ॥ व्यवाभ्यां तने वेः ॥ ५६५ ॥ व्यंग एदोतौ च वा ॥ ९२४ ॥ त्रियो हिक् ।। ७१० ॥ श शंसे श इचातः ॥ ३०६ ॥ शः सन्वच ।। ७४७ ॥ शकेरन्धूः ॥ ८४८ ॥ शकरुन्तः ॥ २२३ ॥ शकेरुन्तिः ॥ ६६६ ॥ शकेरुनिः || ६८४ ॥ शकेत् ॥ ८९१ ॥ शतेरादयः ॥ ४३२ ॥ शदिवाधि-च ।। २९९ ॥ शदेरुच ॥ ३९४ ॥ शपेः फू च ॥ ४०१ ॥ शफकफ-दय: ।। ३१६ ॥ शमिकमिपलिभ्यो वलः ॥ ४९९ ॥ शमिमनिभ्यां खः ॥ ८४ ॥ शमिपणिभ्यां ढः ॥ १७९ ॥ शमेर्व च वा ॥ ४७० || शमेर्लुक् च वा ।। १६५ ।। शमोनियो स्मलुक च ॥ १००४ ॥ शम्बूकशाम्बूकः ॥ ६१ ॥ शम्यमेणिद्वा ॥ ३९८ ॥ शलिबालपति- आकः ॥ ३४ ॥ शरः ॥ ७५५ ॥ शलेरादुः ॥ ७६३ ।। शल्यणेर्णित् ।। ५९ ।। शल्यलेख्यातः ॥ ३१९ ॥ शवशशेरियातः ॥ ४१३ ॥ शाखेरिदेतो चातः || ४०० शामाश्याशक्य-लः ॥ ४६२ ॥ ॥ ४० ॥
SR No.010659
Book TitleHaimshabdanushasanam Laghunyas Sahitam
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size78 MB
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