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________________ ३६ ॥ WANNE MAN ज जजलतितल - यः ॥ १८ ॥ जठरक्रकर-दयः ॥ ४०३ ॥ जनिपणिकिजु - ॥ जनिहनिशद्यस्तच ॥ ८०९ ॥ १४० ॥ जम्बीराभीर - दयः || ४२२ ।। २६१ ॥ जाया मिगः ॥ ८६० || जिभृसृभ्रस्जि-श्च ॥ ४४७ ॥ जीणशीदी - कित् ॥ जीवेरदानुक् ॥ ७९५ ॥ जीवेतुः ॥ ७८२ ॥ जीवेरानुकोजैव्च ॥ ६७ ॥ जीवेश्च ॥ २१६ ॥ शृकृत-ण्डः ॥ १७३ ॥ नृपदृष्ट-दौ ॥ ४७ ॥ नृविशिभ्यामन्तः ॥ २१९ ॥ हृवृभ्यामृथः ॥ २३६ ॥ जनस्तृजागृ-ङित् ॥ ७०५ ॥ नृपारश्च वः ॥ ६९४ ।। झ झमेझः ॥ १३७ ॥ ट टिटवा ।। १५० ।। ड डिव ।। ६०५ ॥ डिमेः कित् || ३५६ ॥ डीनीवन्धि - डिम्बः || ३२५ ॥ ण लुप् ॥ २० ॥ त तविङ्कङ्कि - रिः ।। ६९२ ॥ तडेरागः ॥ ९७ ॥ तनितृलापा - उत्रः ॥ ४६१ ॥ तनित्यजियजि- डद् ॥ ८९५ ॥ तः ॥ ७४८ ॥ तत् ॥ ६७४ ॥ तनेच् । ८७२ ॥ तनेर्यतुः ॥ ७८१ ॥ तप्यणिपन्य- रसः ॥ ५६९ ॥ तमिमनिकणिभ्योः ॥ ७६५ ॥ तमेर्वोऽन्तोदीर्घस्तुवा ॥ ४८९ ॥ तलिकसिम्यामीस ॥ ५७६ ॥ तवे ॥ ५५० ॥ तसः ॥ ५८० ॥ तिजियुजेर्गुच ॥ ३४५ ॥ तिनिशेतिशादयः ॥ ५३७ ॥ तीवर धीवर - दयः ॥ ४४४ ॥ तुदादिविषिगुहि- कित् ॥ ५ ॥ तुदादिवृजि - कित् ॥ २७३ ॥ तुदिमदिपद्य - छक् ॥ १२४ ॥ | तुभूस्तुभ्यः कित् ॥ ९९६ ॥ तुम्वस्तम्वादयः || ३२० ॥ तुम्बेरुरुः ॥ ८१७ ॥ तुल्लेल्लादयः ॥ ५०० ॥ तुपिकुठिभ्यां कित् ॥ ४०८ ॥ तूपेरीम् णोऽन्तश्च ॥ तृ पिवपिकुपि - कित् ॥ ४६८ ॥ ९४० ॥ ॥ ३६ ॥
SR No.010659
Book TitleHaimshabdanushasanam Laghunyas Sahitam
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size78 MB
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