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________________ पूजनके भेद । पूजन कई प्रकारका होता है । आदिपुराण, सागरधर्मामृत, धर्मसंग्रहश्रावकाचार, चारित्रसार आदि ग्रन्थोमे नित्य, अष्टोन्हिक, ऐन्द्रध्वज, चतुर्मुख, और कल्पद्रुम, इस प्रकार पूजनके पांच भेद वर्णन किये है । वसुनन्दिश्रावकाचार और धर्मसंग्रहश्रावकाचार-- --- - -- --- --- - १ नित्यपूजनका स्वरूप आगे विस्तारके माथ वर्णन किया गया है। २-३, “जिनार्चा क्रियते भव्यर्या नन्दीश्वरपर्वणि । अष्टाह्निकोऽसौ सेन्द्राधे माध्या बैन्द्रध्वजो मह ॥"-सागर वर्मा० । अर्थात्-नन्दीश्वर पर्वमे ( आषाढ, कार्तिक और फाल्गुण इन तीन महीनोंके अन्तिम आठ आठ दिनांमे )जो पूजन किया जाता है, उसको अष्टाह्निक पूजन कहते है और इन्द्रादिक देव मिलकर जो पूजन करते है, उसको ऐन्द्रध्वज पूजन कहते है। ४ "महामुकुटबद्धस्तु क्रियमाणो महामह । चतुर्मुख म विज्ञय सर्वतोभद्र इत्यपि ॥"-आदिपुराण । "भक्त्या मुकुटबद्धयां जिनपूजा विधीयते तदात्या सर्वतोभद्रचतुर्मुखमहामहा ॥-सागारध० । अर्थात्-मुकुटबद्ध ( मालिक ) राजाओके द्वारा जो पूजन किया जाता है, उसको चतुर्मुख पूजन कहते है । इसीका नाम सर्वतोभद्र और महामह भी है। ५ “दत्वा किमिच्छुक दान सम्राभिर्य प्रवर्त्यते । कल्पवृक्षमह सोऽय जगदाशाप्रपूरण ॥"-आदिपुराण । "किमिच्छ केन दानेन जगदाशा प्रपूर्य य । चक्रिभि क्रियते सोऽहंद्यज्ञ कल्पद्रुमो मत ॥'-सागारध० । अर्थात्-याचकोको उनकी इच्छानुसार दान देकर जगतकी आशाको पूर्ण करते हुए चक्रवर्ति सम्राटद्वारा जो जिनंद्रका पूजन किया जाता है, उसको कल्पदुम पूजन कहते है।
SR No.010656
Book TitleAnitya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1914
Total Pages155
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Religion
File Size5 MB
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