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________________ [||] पृथक करती हुई इसकी वैषयिक विलक्षणता द्वारा प्रेरणा प्राप्त कर मैं अपनी अल्पज्ञता से बाधित हुए बिना इस पर शोध प्रबन्ध की रचना हेतु साहस करने को तत्पर हुई । वर्ष 1967-68 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृतविभाग की स्नातकोत्तर कक्षाओं में जिन्होंने अमूल्य विद्यादान देकर मुझे मेरे जीवनपर्यन्त गौरवान्वित किया, उन समस्त श्रद्धेय गुरूजनों के चरणों में अपने श्रद्धासुमन समर्पित करती हूँ। अपने स्नेह और आशीर्वाद के अमिट प्रभाव से वे निरन्तर मेरी अक्षय प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। जीवन में उच्च पद की दौड़ में अपना नामाङ्कन न कराकर भी मैं उन समस्त गुरूजनों की शिक्षा के प्रकाश से 30 वर्षों बाद भी अपने अन्तर्मन को प्रकाशित सा अनुभव करती हूँ । उन सभी की अप्रत्यक्ष प्रेरणा तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शोधकार्य करने की अदम्य लालसा ने मुझे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के दीर्घकालीन अन्तराल के पश्चात् इसी विश्वविद्यालय की छत्रछाया में शोधप्रबन्ध की प्रस्तुति हेतु उपस्थित होने को बाध्य किया। उन समस्त श्रद्धेय गुरुजनों के प्रति कृतज्ञताज्ञापन में शब्द सदैव अक्षम ही रहेंगे। उनके सम्मान में मेरा अशाब्दिक नमन । शोधप्रबन्ध के निर्देशन हेतु मुझे परमश्रद्धेया डा० ज्ञान देवी श्रीवास्तव (अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) का सानिध्य प्राप्त हुआ। उनकी विद्वता के प्रति मैं नतमस्तक हूँ । मेरे लिए जो कार्य परिस्थितियों के झञ्झावातों को झेलते हुए कठिन बन चुका था, उसको प्रारम्भ करने की प्रेरणा मुझे बड़ी बहन का सा स्नेह देने वाली डा० ज्ञानदेवी से ही मिली। उन्होंने सदैव सहज आत्मीयता से अपना व्यस्ततम अमूल्य समय मुझे देते हुए मेरा मार्गनिर्देशन किया। यदि प्रस्तुत शोधप्रबन्ध की किञ्चित् उपयोगिता हो तो उसका श्रेय उन्हें ही है। शोधकार्य को प्रारम्भ करने में मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के रीडर, मेरे अनुज समान डा० कौशल की प्रेरणा से उत्साहित हुई। उनके प्रति मेरी कृतज्ञता असीम है। पारिवारिक पृष्ठभूमि के महत्व को अस्वीकार करना कदापि संभव नहीं है। मेरे परमपूज्य माता-पिता तथा स्नेही अनुज मेरा मानसिक सम्बल बने, प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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