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________________ क्यामखां रासा] १६ मलूखां परायो, सबै कछु लुटायो। दिली माहि आयो, लै प्रापहि छपायो॥२१८।। ॥ दोहा । फिरै भजोरा भाजतो, · ता पाछै ना जाउं । सत छाडै तिह नाह तौ, मोहि क्यामखा नांउं ॥२१९।। हाथी घोरे दर्व बहु, लूट लयो चहुवांन । पैठ्यो आइ हिसारमै, वजत जैत नीसांन ॥२२०॥ क्यामखानुं बहु बल गह्यो, करै जु इंछ्या प्रांन । मल्लूकौं फिरि लरनको, नांहि रह्यौ अरमांन ।।२२१।। देस देसकी पेसकस, क्यामखानुको आइ । भले पजाये भोमिया, सगरे सेव हि पाइ ॥२२२॥ । सवइया । क्यामखानु चहुवानुं खानुं सुलतानु साधे, राव रानं आन सब भोमिया पजाया है। कमधज कछवाहे वैरिया हुमइ भटी, तूंवर....."गोरी जाटू पाइ लाये है। तावनीस रोवे नारू खोखर चंदेल काल , झाव साहुसेन अकलीमसा भजाये है। साह महमद ममरेजखां इदरीस, मोजदी मूगल खेतते खिसाये हैं ॥२२३।। ......... 'बैठे ही हिसार नीके साथे चक चार है। दूनपुर रिनी भटनेर भादरा गरानी, कोठी बजवारी और डरत पहार है। कालपी येटावो और बीचिकै मेवासी सब, चमकत रहत उजीन और धार है। पूरव पछिम और उतर दछिन साधी , दिल्लीमे मलूके नही खुलत किवाड़ है। क्यामखा चहुवान मोटे रावसुत तप, ....... ॥२२४॥ . . . . . . . . ।
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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