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क्यामखां रासा]
तक्योक्यामखांजात उदासा तबहिं बुलाय बिठायो पास। पीरसुवचन तव ही उच्चरै । ते बाबा काहे द्रिग भरे ।।१४५।। मारी थाप चवाऊँ लौंन । धनी बावनी मारै कौन। नंबू और गंदीरा अांन । दये नूरदी नूरजहांन ॥१४६।। लये क्यामखां तव मन पाखें । नेवू आदि गंदौरापाछ। कह्यौ रीत यह है इन गोत । खाटे ह फिर मीठे होत ॥१४७।। केतक दिन पढ़ते ही गये । क्यांमखानुं पढ़ि पूरे भये। सैद कह्यौ अव सुनंत करावहु। करहुनमाज दीनमें आवहु ।।१४८।। तब क्यामखान विनती कीन । मेरौ हूं मन चाहत दीन। पै यह चिंत मोहि चित मांहि ।हमसोंसाक करे को नाहीं॥१४६।। नासिर सैद करांमत पूरन । जाको कह्यौ होत है दूरन। यहुचिता जिन चितको देहु । मेरे वचन मांनिकै लेहु ।।१५०।। बड़े बड़े जगु है है राइ । ते तनया देहे करि चाइ । है है जोध मंडोवर राइ । बहु डोला घर देइ पठाइ ॥१५१।। है वहलोल दिली सुलतांन । दैहै तनया निह मांन। मीरांकै मुख निकसै वैन । ते सव भये अन ही मैंन ॥१५२।। तवही दीनमें आयौ खान। निर्मल मोमन मुस्सलमान। जब सब वातिन निर्मल पायो।तब मीरां दिल्ली ले धायो॥१५३।। पातसाह देखत हरसाये । मनसब देकै खानं बढ़ाये । पातसाह मीरांकोप्यार। दिन दिन खांसोबढत अपार ॥१५४।। मीरांजी जव रोगी भये। पातसाह पूछनकौं गये। तवमीराजी असे भाख्यौ । क्यांमखानु मै सुत करिराख्यो।१५।। जौ कवह मेरो ह काल । याकौं दीजहुमनसबमाल । मेरै पूत सपूत न कोई । जिनते सेव तुम्हारी होई ॥१५६।। पातसाह भाख्यो जूनीकै । क्यामखानु है लाइक टीकै। पातसाह उठि डेरै आये । तब मीरां सब पुत्र बुलाये ॥१५७।।