SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्यामखांनियोंका वंश-वृक्ष ४. (१५३१-४६ ) १. दौलतखाँ, २ अहमदखाँ, ३ नूरखाँ ४ फरीदखाँ, ५ निजामखाँ, ६ पहाडखाँ, ७ लाखाँ दाउदख ९ श्रवन, १० महमदसाह | १. ( १५४६-७० ) ४७ १. नौहरखाँ, २ होबनखाँ, ३ याजिदखाँ । ( १५७०-१६०२ ) ६. १. फदनखाँ, २ बहादरखाँ, ३ दिलावरखाँ । ७. (१६०२-९) १. ताजखा, २ पेराजखाँ, ३ दरियाखाँ । ८. (१६०९-२७ ) १. महम्मदख २ महमूदखाँ, ३ सेरखाँ, ४ जमालख, ५ जलाख, ६ मुजफरखाँ, ७ हैबतखाँ, ८यीय । ६. ( १६२७-८३ ) १. दौलतखाँ, २ न्यामतखाँ ३ सरीफखाँ, ४ जरीफखाँ, ५ फकीरखाँ । १० ( १६८३ - १७१० ) ताहरखाँ, २ मीरखाँ, ३ सदखाँ । १. सरदारखाँ । ११. (सं० १७१०-३७ ) फदनखाँ ( क्यामरासा इसकी विद्यमानता में बना ) यह श्रसमय में स्वर्गवासी हो गया । इससे सरदारखाने अपने भाई दीनदारखाँको राज्याधिकार दे दिया । फतहपुर परिचय ग्रन्थ में वंश वृक्ष दे दिया है; उसमें कुछ नामान्तर व अधिक नाम ये हैं१. क्यामखाँका श्रहमदख नामक एक और पुत्र बतलाया है । मोमनखाँको मोहनखाँ लिखा है । २. दौलतखाँ (१के) पुत्रोंके नामोंमें नं० ७ ६ १० नामोंके बदले १ बहारखाँ, २ एमनखाँ, ३. दरियाखों है । ३. नाहरखाँके पुत्र होवनखका नाम जोवनखाँ लिखा है । ४. दौलतखाँके पुत्र फकीरखॉका नाम फक्रखाँ लिखा है । ५. ताहरखाँके पुत्र मीरखाँका नाम महरखों दिया है । ६. सरदारखाँके बाद उसका भाई दीनदारखाँ दीवान हुआ, राज्यकाल (सं० १७३७ से - ६० ) ।
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy