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________________ १४ । क्यामखां रासा- भूमिका धुंधुमार, मारीच, जमदग्नि, परशुराम, सूर, वच्छ, चाइ और चाहुवान क्रमशः हुए । चक्रवर्ती चाहुवानकी श्रान चारों दिशाओं में है, उनके साँभरका नमक सब लोग खाते हैं। उसी चौहानके कल्पवृक्ष रूपी वंशमैकी निम्नोक्त शाखाएं हैं--क्यामखानी, देवड़े, सीसोदिये, भदौरिये, चित्तोरिये, वाधौर, मलखीची, निरवान, चाहिल, मोहिल, माहौ, दूगट, बलिसे, जौर, सोनगरे, गिलखोर, मांदलेचे, गुहिलौत, उमट, साचोरे, गोधे, राकसिये, हाले, झाले, दाहिमे, गूदल, बालौत, हाडे, छोकर, धंधेरे, खैल, बारौरिये, धुकारने, चीचे, गोवलवाल, हुलतावर, ढलोहोर श्रादि । पंडसूर, श्रासोप, पीपारे, गौतम, दागी, मरिल श्रादि सवका मूल चौहान है। श्रव चौहान वंशके छत्रपति राजाओंका विवरण लिखते हैं - दिल्ली में मानिकदे चौहानने २ वर्ष ६ मास १७ दिन राज्य किया, रावलदेने ९ वर्ष ७ दिन, देवसिहने ६ वर्ष ३ मास; स्योंदेवने १० वर्ष, १ मास २२ दिन, बलदेवने ५ वर्ष ११ दिन, पृथ्वीराजने २२ वर्ष ११ दिन तक दिल्लीका शासन किया। इसने बहुत युद्ध किए, काबुलसे दूब मँगा कर घोड़ोंको चराया । चौहान वंश सवमें सिरमौर है जिसमें बीसल, पाना, हमीर जैसे वीर राजा हुए। चहुवानके पुत्र मुनि, परिमुनि, मनिक और जैपाल थे जिनमें एक योगी हुश्रा बाकी राजा हुए । मानिकके कुलमें सोमेश्वरका पुत्र पृथ्वीराज हुआ, आठ चौहान अरि मुनिके वंशज हैं। चहुवानके बाद मुनि हुआ उसने कूचौरेमें राज्य किया। फिर भोपालराय, कहकलंग, घंघराय हुश्रा, जिसने घांघू गॉव वसाया। एक बार घंघराय शिकार खेलने गया। उसके हरिनका पीछा करते हुए बहुत दूर चले जाने पर सेवक लोग व्याकुल हो कर उसे खोजने लगे । इधर राजा मृगके पीछे लोहगिरि तक पहुँचा । यहां आते ही मृग अदृश्य हो गया। राजाने चिंतातुर हो कर सजल नेत्रोंसे एक वृक्षकी छायामें विश्राम लिया। निकट ही एक जल-कुंड था जिसमे स्नान करनेके लिए चार महान सुंदरी अप्सराएं पाई। वस्त्र उतार कर उन्होंने कुंडमे प्रवेश किया। राजाने कौतूहलसे उनके वस्त्रोंको उठाकर अपने कब्जेमें कर लिया। अप्सराओंके मांगने पर राजाने क्हा चारोमेंसे यदि एक मेरे साथ शादी करे तो वस्त्र दे सकता हूँ। अप्सराोंने बहुत कुछ समझाया, पर न मानने पर अाखिर एक जो सबसे छोटी थी, उसे राजाको देनेका वचन दिया । तब राजाने वस्त्र दिये और वे सुसज्जित हो कर बाहर श्राई। राजाने एक अप्सराके साथ विवाह किया अर्थात् हरिणका पीछा करते हुए हरिणाक्षीकी प्राप्ति की। अप्सराके गर्भसे तीन पुत्र हुए-कन्ह, चंद और इंद । चंदने चंदवार, इंदने इंदौर बसाया। कन्हरदेव पिताका राज्याधिकारी हुआ । उसके चार पुत्र थे अमरा, अजरा, सिघरा और बजरा। अजरासे चाहिल, बछरासे मोहिल, अमराके वंशज चौहान हुए । अमराका पुत्र जेवर राज्याधिकारी हुा । उसके गूगा, वैरसी, सेस और धरह, यह चार पुत्र थे । गूगाके नागिन, घरहके भोपर और
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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