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________________ [कवि जान कृत सरसेमें अवश्य मुकाम किया था, वहां बहलोलके पक्षसे फतहखांका उससे युद्ध करना असम्भव नहीं है । परन्तु क्यामखानियोंने सन् १४८२ में ही लोदियोसे मेल किया हो (देखो, पृष्ठ ११७ का टिप्पण) तो ऐसा अनुमान अवश्य असंगत होगा। पृष्ठ ३६, पद्याङ्क ५२४. फतहखांका आमेर और भिवानी पर आक्रमण...... इस वर्णनमें कितनी सत्यता है और कितनी अतिशयोक्ति, यह कहना कठिन है । पृष्ठ ३६, पद्याङ्क ४३३. कांधिल बहु गुन हन्यौ हो, रिस राखत मन मांहि ।...... रासाके पिछले वर्णनमें कांधल की पराजयका वर्णन है, (देखें, पृष्ठ ११७ का टिप्पण) परन्तु इस पंकिसे प्रतीत होता है कि उसने क्यामखांनियोंको हराया था। पृष्ठ ३७, पद्याङ्क ४३६. झुंझनूके शम्सखांका जोधाकी पुत्रीसे विवाह...... ___ यह कथन असत्य प्रतीत होता है। जोधपुर राज्यके संस्थापक और महाराणा कुम्भासे लोहा लेने वाला जोधा क्यामखानियांसे न कमजोर था और न दवा हुश्रा जो उन्हें अपनी पुत्रीका डोला भेजता। पृष्ठ ३७, पद्याङ्क ४४५. चिमनको ईन लीनो नीसांन...... चिमन न जाने कौन था। रासाने इससे पूर्व फतहखांकी जीवन-घटनाओंका वर्णन करते इए इसका नाम नहीं दिया है। इस श्लाघापूर्ण सवैयेमें जादो (संभवतः भाटियों) को भी फतहखांके परास्त शत्रुओंमें सम्मिलित कर दिया गया है। जान कवि ही तो ठहरा, अत्युक्तिका उसे अधिकार है। पृष्ठ ३८, पद्यात ४४६. दिल्लीके पतिसाहकों, वदै न खानु जलाल...... यह अतिशयोक्ति प्रतीत होती है। किन्तु मनुके बारेमें सुल्तान यहलोल और जमालखांमें वैमनस्य असंभव प्रतीत नहीं होता । (देखो, पृष्ठ ३९) पृष्ठ ३९, पथाङ्क ४५८-४५९. छापौरी और आमेर पर हमले...... श्राम्येर फतहपुरसे काफी दूर है। शायद उस राज्यके किसी भूभाग पर आक्रमण किया गया हो। पृष्ठ ३९, पद्यात ४६६-६७. बीका और बीदाका भानजा मुवारकशाह..... बीदा बीकानेर राज्यके संस्थापक बीकाका छोटा भाई और द्रोणपुर, छापर आदिका स्वामी था । मुबारकशाहसे इन भाइयोंके सम्बन्धके विपयमें पृष्ठ ११९ का दूसरा टिप्पण देखें। पृष्ठ १०, पद्याङ्क ४७७-७८. बीदाका फतहपुर पर अाक्रमण..... बीकानेरकी ख्यातोंमें यीदाके इस आक्रमणका वर्णन नहीं मिलता। 'छन्द राठ जइवसीरट' में अवश्य यह लिखा है कि बीकाने फतहपुर और मनूको अधीन किया और उन्हें वांहका सहारा दे कर कायम रखा (द ४६)।
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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