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________________ कविवर जान और उनके ग्रन्थ m कुल अन्य २१, ५, २, १९, ३, ११, १,६,६८ । श्री रावत सारस्वतसे प्राप्त सूचीके अनुसार १ - सुधासागर और २ - स्वास संग्रह, दो और होने चाहिए, अतः कुल मिलाकर ७० होते हैं। अन्य ग्रन्थ १. कवि वल्लभ, र. सं. १७०४, शाहजहाँके समय । काव्य शास्त्रका महत्वपूर्ण ग्रन्थ । २. मदनविनोद, र. सं. १६९० का.सु. २, कोक, पंचसायक, अनंगरंग, शृङ्गारतिलकके आधारसे रचित । ३. बुद्धिसागर, र. सं. १६९५ मि. सु. १३, पंचतंत्रका अनुवाद, शाहजहाँको भेंट किया। इस प्रन्थ के संबंधमें विशेप जाननेके लिए 'कविजानका सबसे बड़ा ग्रन्थ' शीर्षक लेख देखना चाहिए, जो कि हिन्दुस्तानी, भाग १६, अङ्क ५ में प्रकाशित है। ४. ज्ञानदीप, पथ ८६०८ कथाएँ, सं. १६८६ वै. व. १२, १० दिनमें रचित । (जयचन्दजी संग्रह, श्री पूज्यजी संग्रह, बीकानेर) देखें ब्रजभारती, वर्ष १, अङ्क ११। ५. रसमंजरी, र. सं. १७०६ का, पत्र ४६, सरस्वती भण्डार, उदयपुर । ६. अलफखाँकी पैडी, - प्रस्तुत ग्रन्थके परिशिष्टमें प्रकाशित हो रही है। ७. कायम रासा -प्रस्तुत क्यामखां रासा। उपर्युक्त अन्योंमेंसे बीकानेरके संग्रहालयोंमें जान कविके निम्नांक अन्योंकी प्रतियाँ प्राप्त हैं। सम्पादनादिमें उपयोगी समझ सूचना दी जा रही है अनूप संस्कृत लाइब्रेरीमें १. सतवंतीसत, र. सं. १६७८, सम्वत् १७२६ व १७२९ की लिखित दो प्रतियाँ प्राप्त हैं। २. लैला मजनू , सं. १६९१, (सम्वत् १७५४ को लिखित संग्रह प्रतिमें )। ३. कथामोहनी, र. सं. १६९४ मि. सु. ४ (सं. १७२९।३० लि. संग्रह-प्रतिमें)। ४. कविवल्लभ, र. सं. १७०४ पत्र, ८६ । महत्वपूर्ण काव्य ग्रन्थ, चित्र काव्य भी है। ५. रसकोष, र. सं. १६७६, पत्र ३७ (सं. १६८४ फतहपुरमें लिखित प्रति) ६ मदनविनोद, र. सं. १६९० का. सु. २ पत्र २७ (सं. १७४३ मे लि. प्रति) हमारे अभयजैन ग्रन्थालयमें १. बुद्धिसागर, सं. १६६५ पत्र १८६ (सं. १७१६ लिखित)। २. क्यामरासो, सं० १६९१ (प्रति सं. १७११में की गई )। ३. अलफखांकी पैड़ी, पद्य १००, सं. १६८४ लगभग (सं. १७१६ लि.)। ४. वैदक मति, सं. १६९५ ।
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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