SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्यामखां रासा] ४७ भयो सिकंदर छत्रपति, मर्यो जबहिं बहलोल । दौलतखां नाहिंन बदै, भुजबर कर किलोल ॥५५५।। ॥सवैया।। दौलतखा चहुवान अपनै भुजनि पानि होइ मतिवारी हाथी अरि चीर मारी है। देखें गज सैन तब रंचक बदै न कछ सूकै मद गज बाघ होइकै विदारी है । सिंघकौं तकेते पल कल सारदूल होइ सारदूल देखकै भुजनि बर मारि है । नदन जलालखांको बाज होइ ततकाल धावै खल दल जब तीतुर निहारि है ॥५५६।। -दौलतखां चहुवांन मलिक नागोरी मान तिमरके दलवल भीलि भात भंजे हैं। महबतखान साराखांनी हू भजाइ दीनौ गौर निरवान मारे गढ़ कोट गंजे है। अरिनं नारि बंन बंन......... पानीयो न पावै अंग मंजनन मंजे है । तनमै न भूषन न बसन भूखी डोलत मुख न तंबोर द्विग अंजन न अंजे है ॥५५७।। ॥दोहा॥ भयो मुबारक साहकै, बड़ो खांन कमाल । ताको दीनी झूझनू, और सबै बित माल ॥५५८।। दूजौ पुत्र सहाबखां, ताकी नौहां दीन । जीयौ तौलौ उत रह्यो, भईयाको आधीन ॥५५६।। दोउ भइया जब मुये, गोनें छाड़ि जहांन । पूत रहे इंन दुहुनके, तिनको करौ वखांन ॥५६०।। बेटा खांन कमालको, भीखनखां तिह नांव । राज अझनमै करै, वाकै बस पुर गांव ।।५६।।
SR No.010643
Book TitleKyamkhanrasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1953
Total Pages187
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy