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________________ .. . - . . . . - - - - . - . . - - - . - . - . . . . - . - . . . - . . . - . . - -.- - - . . . . - . - . . - - - . .... . समर्पण पूज्य श्री सद्गुरुदेवके परम योगसे एवं उनकी अपूर्व सत् । अमृतवाणीसे मुझ पामर पर अपार उपकार हुआ है । यह होते ही निज सुप्त चेतना तत्क्षण जाग्रत हो उठी और उन्हीके प्रतापसे इस भरतभूमिमे अद्भुत और अलौलिक धर्मप्रभावना हो रही है। इनके मुखारविन्दसे जिनधर्म व जिनवाणीका विशाल प्रवाह अखण्ड - अटूट - धारावाही बह रहा है, इस आध्यात्मिक स्रोतसे निकली ज्ञानगंगामे स्नान कर अनेक जीव शुचि हो रहे है। अहो ! अपूर्व आध्यात्मिक सहजानंदवृत्तिधारक, महान् अनुभवी, प्रखर धर्मउपदेशक, करुणासिधु परम पूज्य परमोपकारी सद्गुरुदेव श्री कहानजी स्वामीके करयुगलमे अत्यन्त अनन्य भक्तिपूर्वक विनम्रभाव से यह "द्रव्यदृष्टि प्रकाश" सर्मपण करके अत्यधिक आनन्द अनुभवता हूँ। - रमेशचन्द्र सोगानी
SR No.010641
Book TitleDravyadrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVitrag Sat Sahitya Prasarak Trust
PublisherVitrag Sat Sahitya Trust Bhavnagar
Publication Year
Total Pages261
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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