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________________ गतिमार्गणामें नामकर्मके सवेध भग ३०९ । देवगतिमे २५ का बन्ध करनेवाले देवोके देवोंसम्बन्धी छहों उदयस्थान होते हैं। जिनमेसे प्रत्येकमे ९२ और ८८ ये दो-दो सत्तास्थान होते हैं। इसी प्रकार २६ और २९ का बन्ध करनेवाले देवीके भी जानना चाहिये । उद्योतसहित तिथंचगतिके योग्य ३० का बन्ध करनेवाले देवोके भी इसी प्रकार छह उदयस्थान ओर प्रत्येक उदयस्थानमै ९२ और ८८ ये दो-दो सत्तास्थान होते हैं। परन्तु तीर्थकर प्रकृतिसहित ३० का वन्ध करनेवाले देवोके छह उदयस्थानोमेंसे प्रत्येक उदयस्थानमे ६३ ओर ८६ ये दो-दो सत्तास्थान होते हैं। इस प्रकार यहाँ कुल ६० सत्त्वस्थान होते हैं। 'देवगतिमें नामकर्मके बन्ध, उदय और सत्तास्थानोंके ' सवेधका ज्ञापक कोष्ठक [ ५१ ] बन्धस्थान मग उदयस्थान भंग सत्तास्थान - म Man
SR No.010639
Book TitleSaptatikaprakaran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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