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________________ ९६ सप्ततिकाप्रकरण प्रकृतिक उदयस्थानमें भंगोकी कुल ग्यारह चौवीसी होती हैं। यथा-बाईस प्रकृतिक वन्धस्थानके समय जो आठ प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भंगोंकी कुल तीन चौवीसी, इक्कीस प्रकृतिक वन्धस्थानके समय जो आठ प्रकृतिक उदयम्थान होता है उसके भगोकी कुल दो चौवीसी, मिश्र गुणस्थानमें सत्रह प्रकृतिक बन्धस्थानके समय जो आठ प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भगोकी कुल दो चौवीसी, चौथे गुणस्थानमें सत्रह प्रकृतिक वन्धस्थानके समय जो आठ प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भगोकी कुल तीन चौवीसी और पाँचवे गुणस्थानमे तेरह प्रकृतिक वन्धस्थानके समय जो पाठ प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भगोकी कुल एक चौवीसी इस प्रकार आठ प्रकृतिक उदयस्थानमे भंगोकी कुल ग्यारह चौवीसी हुई। सात प्रकृतिक उदयस्थानमे भगोकी कुल दस चौबीसी होती है। यथा-बाईस प्रकृतिक बन्धस्थानके समय जो सात प्रकृतिक उढयस्थान होता है उसके भंगोकी एक चौवीसी, इक्कीस प्रकृतिक वन्धस्थानके ममय जो सात प्रकृतिक उढयस्थान होता है उसके भंगोकी एक चौवीसी, मिश्र गुणस्थानमे सत्रह प्रकृतिक वन्धस्थानके समय जो सात प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके मंगोकी एक चौबीसी, चौथे गुणस्थानमे सत्रह प्रकृतिक बन्धस्थानके समय जो सात प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भंगोकी तीन चौवीसी, तेरह प्रकृतिक वन्धस्थानके समय जो सात प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भंगोंकी तीन चौवीसी और नौ प्रकृतिक वन्धस्थानके समय जो सात प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भंगोकी एक चौवीसी इस प्रकार सात प्रकृतिक उदयस्थानमे भंगोंकी कुल दस चौवीसी होती हैं। छः प्रकृतिक उदयस्थानमे भंगोकी कुल सात चौवीसी होती हैं। यथा-अविरतसम्यग्दृष्टिके सत्रह प्रकृतिक
SR No.010639
Book TitleSaptatikaprakaran
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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