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________________ धर्माभ्युदय महाकाव्य ६२. महामात्य वस्तुपालनी महत्ता महामात्य वस्तुपाल जैन धर्मना, अने ते साथे समग्र गूर्जर राष्ट्रना इतिहासमां, एक अद्वितीय विभूतिमान् व्यक्ति थई गई. शौर्य, सौंदर्य, औदार्य, सौभाग्य, सौजन्य अने संस्कारसौष्ठव आदि अनेकानेक लोकोत्तर गुणोनो ते एक मूर्तिमान अवतार हतो. साहित्य, संगीत अने स्थापत्य जेवा जीवनोल्लासनिदर्शक ज्ञान-विज्ञाननो ते परम रसिक अने प्रकृष्ट प्रोत्साहक हतो..राजनीति अने राष्ट्रव्यवस्थाना तंत्रनो ते महान् सूत्रधार हतो. स्वयं श्रेष्ठ विद्वान् अने वीर होई, विद्वानो अने वीरोनो म्होटो प्रशंसक, पोषक अने आश्रयदाता हतो. तेना भाग्ये तेने तत्कालीन सत्ता अने समृद्धिना चरम शिखरे पहोंचाड्यो हतो अने तेनो तेणे सर्वोत्कृष्ट सुकृतलाभ लीधो हतो. वस्तुपालना जेवी, असाधारण प्रकारना उच्च गुणधारक व्यक्तियो, महान भारतना प्रभूत भूतकालमा य, बहु ज विरल थएली जणाशे. तेने मळेली सत्तानो सदुपयोग तेणे स्वकीय राष्ट्रनी सुस्थिति निर्मित करवा माटे कों अने समृद्धिनो सव्यय, तत्समयनी परिस्थितिने अनुरूप, सर्वलोकोपकारक अने साथे सुसंस्कारपरिपोषक एवां धर्मस्थानोनी रचना करवामां कर्यो. तेना एवा उदात्ततम अवदातोथी आकर्षाई, तदीय समकालीन, देशना श्रेष्ठ कवियो अने विद्वानोए तेनी सत्कीर्ति अने सुस्तुतिना उन्मुक्त गुणगान करनारा अनेक प्रशस्तिकाव्यो रच्या जेमांनां घणां खरो हजी सुधी पण सचवाई रह्यां छे. तेवी ज रीते, तेणे जे अढळक द्रव्य खर्ची, स्थापत्यकलानां उत्कृष्ट प्रतीको जेवां शत्रुजय, आबू, गिरनार आदि तीर्थस्थानोमा जे भव्य देवमन्दिरो बनाव्यां तेमांना पण घणां खरां, आपणा देशना सद्भाग्ये, हजी सुधी सुरक्षित रही शक्यां छे अने जगतना प्रवासियोने पोताना निर्मातानी दिव्यगाथा संभळावी रह्यां छे. सुकृत्यो अने सत्कीर्तनो द्वारा आ जातवें अमर नाम प्राप्त करनारा मनुष्यो संसारना इतिहासमां बहु विरल थया छे. वस्तुपालनी कीर्ति-स्तुति कथनारा जे प्रशस्तिकाव्यो उपलब्ध थाय छे ते बधानो ढूंक परिचय, अमदाबादनी 'शुजरात साहित्य सभा'ना उपक्रम नीचे, सन् १९३३ ना जुलाईमा, 'प्राचीन गूजरातना सांस्कृतिक इतिहासनी साधन-सामग्री' ए नामे म्हें जे एक व्याख्यान आप्यु हतुं तेमां आपवा प्रयत्न कयों हतो. ए परिचय प्रस्तुत प्रन्थनुं वाचन अने अवलोकन करनाराओने खास उपयोगी होवाथी तेम ज ते अन्य रीते पण अहिं बहु ज प्रासंगिक होवाथी आ नीचे तेनो उतारो आपवामां आवे छे. ६३. वस्तुपाल-तेजपाल- कीर्तिकथा-साहित्य - चौलुक्य वंशना छेल्ला राजा, बीजा भीमदेवना समयनो गूजरातनो इतिहास प्रमाणमा सौथी वधारे विगतवालो अने वधारे विश्वसनीय पुरावावाळो मळी आवे छे; अने तेनुं कारण, ते समयमां थएला चाणक्यना अवतारसमा गूजरातना दे महान् अने अद्वितीय बंधुमंत्री वस्तुपाल-तेजपाल छे. ए वे भाईयोना शौर्य, चातुर्य अने औदार्य आदि अनेक अद्भुत गुणोने लईने, एमना समकालीन गूजरातना प्रतिभावान् पंडितो अने कवियोए एमनी कीर्तिने अमर करवा माटे जेटलां काव्यो, प्रबंधो अने प्रशस्तियो वगेरे रच्यां छे तेटलां हिंदुस्थानना बीजा कोई राजपुरुष माटे नहिं रचायां होय. (अ) वस्तुपालरचित नरनारायणानंद काव्य , वस्तुपाल मंत्री जाते एक सरस कवि अने बहु विद्वान् पुरुष हतो. ते प्राचीन गूजरातना वैश्य
SR No.010638
Book TitleDharmabhyudaya Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1949
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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