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________________ २४-१२-५६ आज हम विहार को छोडकर उत्तरप्रदेश में प्रवेश कर चुके है। विहार और उत्तरप्रदेश की भूमि-विभाजक सीमा-रेखा कर्मनाशा नदी है। भूमि के साथ-साथ ऐसा लगता है जैसे आज तो मानस का भी विभाजन हो चुका है । विहार के लोगो का मानस पटना मे बनता है और उत्तरप्रदेश का मानस लखनऊ मे। इसलिए उनके सोचने का दृष्टिकोण भी अलग-अलग बनता जा रहा है । मानस के साथ साथ दोनो प्रान्तो की समृद्धि में भी बडा भारी अन्तर है । विहार जैसा कि हमारी दृष्टि मे आया, एक सूखा प्रान्त है और उत्तरप्रदेश नलकूपो से हरिताभ सजल प्रदेश । लोगो के रहन-सहन मे भी बिहार और उत्तरप्रदेश का पार्थक्य ' स्पष्ट है । हालाकि विहार में भी इन दो-चार दिनो में लहलहाते खेत, दृष्टिगत होने लगे हैं। पर उत्तरप्रदेश की तुलना मे वह बहुत ही अल्प विकसित है। उत्तरप्रदेश का प्रवेश-द्वार "नौवतपुर" है। गाव न छोटा है और न बडा भी । पर फिर भी लोगो मे उत्साह है। कुछ लोग फूल माला लिए आचार्य श्री का स्वागत करने के लिए कर्मनाशा के इस ओर खड़े हुए थे। सचमुच ग्रामीण लोगो की भक्ति बड़ी सराहनीय है । कल ही प्राचार्य श्री जव एक गाव से होकर गुजर रहे थे तो एक बुढिया, जिसकी कमर झुकी हुई थी, दौडती-दौडती आई और दो चन्नियाँ आचार्य श्री के चरणो मे रखकर वोली-वावा | मुझ गरीब की भी भेंट स्वीकार कीजिए।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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