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________________ २१६ बढाया है । हमे अपने आचार्य पर गौरव है । इस अवसर पर जवकि देश के भिन्न-भिन्न भागो से आकर लोग यहा उस महापुरुष को अपनी श्रद्धाजलि समर्पित कर रहे है मैं उनसे यह कहना चाहूगा कि उनके उपदेशो पर भी उन्हे ध्यान देना चाहिए । विना आचरण के श्रद्धा अकेली पगु है। __राजस्थान के वित्त मन्त्री तथा देश के प्रमुख गाधीवादी विचारक श्री हरिभाऊ उपाध्याय ने अपने भाषण मे कहा-आचार्यश्री के सान्निध्य मे जब भी कोई कार्यक्रम होता है मुझे उसमे उपस्थित रहना अच्छा लगता है। क्योकि आचार्यश्री अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक है।' आज भी यहा उपस्थित होकर मुझे बडी खुशी है। आज हम जिस स्थान पर उपस्थित हुए है वह स्थान प्राचार्य भिक्षु का क्रान्ति स्थान है । किसी महान् क्रान्ति के प्रति श्रद्धाशील होने का मैं यह अर्थ नहीं लेता कि उन्हे माथा टिकाकर हम खाली हाथ लौट जाए।' हमारा कर्तव्य है कि उनके सिद्धान्तो का सही चिंतन और आचरण करे। ___ तदनन्तर महासभा के अध्यक्ष श्री नेमीचन्दजी गया द्वारा प्रेपित वक्तव्य उनके सुपुत्र श्री सम्पतकुमार गधैया ने पढकर सुनाया। समारोह की स्वागत समिति के सयोजक श्री मोतीलालजी राका ने अपने साहित्यिक भाषा प्रवाह मे आभार प्रदर्शन करते हुए कहा-हम वगडीवासियो की वर्षो से यह साध थी कि जिस वगडी-सुधरी की पुण्य भूमि से आचार्य भिक्षु एक नव सकल्प मे प्रतिवद्ध हो प्रगति पथ पर आरुढ हुए थे, दो सदियो की परिसमाप्ति पर हम उस गौरवशील इतिहास को दुहराने के निमित्त एक वृहत् आयोजन के रूप मे यहा एकत्र हो । आज हमारी वह साध पूरी हो रही है। हम लोगो के सौभाग्य की सीमा नहीं है कि उन्ही स्वनामधन्य आचार्य भिक्षु के नवम अध्यात्म-उत्तराधिकारी अणुव्रत-आन्दोलन के प्रवर्तक प्राचार्यश्री तुलसी के सान्निध्य मे आज हम उस महापुरुष को स्मरण कर रहे है ।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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