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________________ १७४ चूकि एक प्रकार से यह महोत्सव का ही अवसर है। अत. साधुसाध्विया बड़ी संख्या में उपस्थित हैं । एक बहन ने इस वडी संख्या को देखकर एक दिन हमारे लिए पानी बना दिया। उसने तो बनाया सो बनाया पर एक साध्वी ने शीघ्रता मे उसकी पूरी पूछताछ नहीं की और { उसे ले लिया। आचार्यश्री के पास यहा सवाद पहुचा तो प्राचार्यश्री ने उसी समय उक्त साध्वी को उपालम्भ दिया तथा पानी को वापस कराया। प्रवचन मे भी आचार्यश्री ने श्रावको को इस प्रकार की सावध अनुकम्पा करने के लिए निषिद्ध किया था। ८ मार्च को एक साध्वी भिक्षा करके आई और उसे आचार्यश्री को दिखाया। आचार्यश्री इस समय भी प्राय. व्यस्त रहते है अत' गोचरी देखने के साथ-साथ कुछ साधुओ से वातें भी कर रहे थे। पर उन्होने देखा कि उनके पात्र मे एक मिठाई भी है । साध्वी चली गई। थोड़ी देर मे एक साधु आए और उन्होने भी अपनी भिक्षा आचार्यश्री को दिखाई । प्राचार्यश्री ने देखा उनके पात्र में भी वही मिठाई है। दूसरे कार्य में व्यस्त होते हुए भी आचार्यश्री ने झट अपना रुख मोडा और पूछा-यह मिठाई कहां से आई ? पहले साध्विया भी इसी प्रकार की मिठाई लाई थी। क्या वह और यह एक ही घर की है ? साध्वियो को बुलाया गया, साधुनो से भी पूछा गया। पता चला कि वह एक ही घर से आई है। उपालम्भ देते हुए आचार्यश्री ने कहा--एक घर से इतनी मिठाई कैसे लाए ? उन्होंने निवेदन किया-उनके घर तो बहुत सारी मिठाई है हम तो बहुत थोडी ही लाए है। प्राचार्यश्री ने कहा- पर हमे किसी धर से इतनी मिठाई नही लानी चाहिए। जिससे गृहस्थ पर हमारा वजन पड़े।
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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