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________________ रात्रि मे ठीक प्रार्थना के बाद प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम रखा गया था। पर आजकल जवकि हमारा नित नया घर बसता है। रात्रि मे सोने के लिए भी नित नई जगह निश्चित करनी पड़ती है। व्यवस्था के अभाव मे कौन कहा सोए, यह वडी समस्या खडी हो जाती है। अतः आवश्यक होते हुए भी प्रश्नोत्तरो के कार्यक्रम से पहले प्रत्येक साधु के सोने का स्थान निश्चित करना था। एक विचार था कि आचार्यश्री अपने कार्य का विभाजन कर दें तो क्या उन्हे आवश्यक कार्य करने मे अधिक समय नहीं मिल सकेगा? व्यवस्था की छोटी-छोटी बातो मे ही प्राचार्यश्री का कीमती समय चला जाता है । पर प्राचार्यश्री कार्य को कार्य की ही दृष्टि से देखते है। इसीलिए कोई भी कार्य उनके लिए छोटा और वडा नही है। छोटे-छोटे कार्यों को भी वे उसी उत्साह से करते हैं जितना बडों को । यही तो उनके उत्तरदायित्व सरक्षण की भावना का एक सही निदर्शन है । ___ इससे पहले कि प्रश्नोत्तरों का कार्यक्रम चले आचार्यश्री ने मुनिश्री ताराचन्दजी (चूरू) को भापण करने का आदेश दिया। एक साधना सिद्ध मच पर से जहा आचार्यश्री वोले दूसरे व्यक्ति का बोलना समकक्षता को कैसे प्राप्त कर सकता है ? पर शिक्षण का यह एक ऐसा माध्यम है कि जिसके आधार पर आचार्यश्री ने अपने अनेक शिष्यो को अच्छा वक्ता बनाने मे सफलता प्राप्त की है। आज जो कुछ साधु अच्छे वक्ता हैं वे भी एक दिन इस मच पर से अस्पष्ट और तुतली भाषा मे ही बोले थे। पर प्राचार्यश्री का यह प्रयोग सचमुच अपनी लक्ष्य सिद्धता तक पहुचा है। हम लोगो को बडा सकोच होता है कि आचार्यश्री के पास कैसे वोलें ? इसीलिए कई वार प्राख बचाने का प्रयत्न करते है । पर गुरू की दृष्टि से कौन कहा तक छिप सकता है । इसीलिए आचार्यश्री हमे अनेक बार बुलाते है और अपने सामने भापण करवाते है। भापण के बाद उसके
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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